मनुष्य जीवन की उपयोगिता | Manav Jivan Ki Upyogita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मनुष्य ज़ावन का उधयागत!ः
एवाड्ू
হাই? स्ट
व्यक्तिगत मानवी कायं
৩ दे--~
पहला प्रकरण
कार्ग्याकाये विचार
प्रमेश्वर ने मनुष्य को स्व श्रेष्ठ बनाया है। उसने उसको
विचार-शक्ति दी है| उसका कत्त व्य है कि वह इस विचार-शक्ति से
काम ले | यदि नहीं लेता ती उसमे और एक साधारण पशु में कोई
प्न्तर नहीं है ।
दो-चार कोस की ण॒त्रा करने के लिए हम कैसे कैसे वेधान वॉधते
है । कौन कौन हमारे साः चलेगा, रास्ता खराब तो नहीं है, खाने पीने
का सामान तो ठीक है, कल कितना खचं पड़ेगा, इन सव वातो की हमें
कितनी चिन्ता रहती हैँ | जब इतनी छोटी यात्रा के लिए तनी भमर
करनी पड़ती है तो इस बड़ी संसार यात्रा के लिए कितनी बड़ी कट
दी शआ्रावश्यकता है, इसका अ्रनुमान पाठक स्वयं कर सकते हैं।
ए मनुष्य, जया सोचो तो सद्दी वू इस संसार में किस वास्ते पैदा
किया गया है। अपनी शक्तियों का ख्याल वार । ध्रपनी ग्रावश्यकताश्रों
पर विचार कर | নু अपने कतंव्य आप से आप समझ; जायगा और
रिप्न-गाधाध्रो ते पचा रदटेगा ।
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