विवाह-क्षेत्र-प्रकाश | Vivah Shetra-prakash(1925)

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Vivah Shetra-prakash(1925) by जुगलकिशोर मुख़्तार - Jugalkishaor Mukhtar

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जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।

पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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उद्देश्य का अपंलाप आंदि । १५ स ज িল ২ ~---- ~ --------~ साथ ही, यह मेलम द्वो जाता है कि वे किलने परियतनशील हुआ करते हैं। ऐसी हालतमें विवाह जेसे लौकिक थर्मो ओर सांसारिक व्यवहारोंके लिये किसी आगमका आश्रय लेना झथांत्‌ यह दुद लाज लगाना कि श्यागममे ক্ষিল সন্কাহজ মিনা करना लिखा क्त बिलकुल व्यर्थ है । कहा भी हे-- “संसारव्यवहार त स्वतःसिद्ध वृथागमः%। अथांत्‌ -संसार व्यवहारके स्वतः: सिद्ध हानेस उसके लिये आगम की जरूरत नहीं । वस्तुतः आयगम ग्रन्था में इस प्रकारके लोकिक घर्मो और लोकाशित विधानोका कोई क्रम निद्धारित नहीं होता | वें खब लाकप्रवत्ति पर अचलम्बित रहत हैं। हाँ, कुछ त्रिवर्णाचारों জজ अनार ग्रन्थों बिवाह-विधानौका वर्णन जरूर पाया जाता हें। पर न्तु वे आगम ग्रन्थ नहीं है---उन्ह आप भगवानके वच्चन नहीं कह सकते और न व॑ श्राप्वचनानसार लिखेगय हें--इतने पर भौ कछु ग्रन्थ तो उनमें से बिलकल ही जाली आरोर बनावटी हैं; म्ेसा कि 'जिनसनबत्रियर्णाचार' और 'सद्गबाहुसंहिताके' के परीक्षा- लेखो से प्रगट है > । वा स्तवमे ये सब ग्रन्थ एक प्रकारफे लोकिक ग्रन्थ हैं । इनमें प्रक्क विषयके वर्णातक्रों तात्शालिक शौर तदशीय रीतिरिवाजोका उल्लेख मात्र सामझकना चाहिये, अथवा यौ कहन। चहिये कि त्रन्थकत्तश्मौका उस प्रकारके रीतिरिवाजाको प्रचलित करना दृष्ट था | इसस अधिक उन्हें #यह श्रीसोमदेव आच्ार्य्य का वचन है। >ये सब लेख '्रन्थपरीक्षा' नामसे पहिले जेनहिनेषी घत्रमें प्रकाशित हुए थे और श्रव कुछ समयसे अलग पस्तका कार भी छूप गये हैं। बम्बई ओर इदावा आदि स्थानोसे मिलते दे ।




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