बृहत् हिन्दी कोश | Brahat Hindi Kosh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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्‌् -सशा-ररौ उपछौसे किया हुआ संकेत । -संदेश- पु .ंगढीड्नी मुद्दा या माबायसे इशारा करना ।-संमूत -मि० उॉगढौपर या उगषौसे उत्फत | पु. नस । अंगुस्का-सौ मं० मंगुडी। पक तरइष्री घींये 1 दंगुफी-सौ दे? अंगुर्ति । बंगुसीक बंगुछीम अगुलीयक-पु सं बंगूटी । शंगुस्पग्र-पु सं० उग्छोकी नौक बंणुस्पादेश-पु सं उंगठौकें ्वारा स्या हुमा संकेस । भंगुक्त-पु फिर उंगली । -लुसा-नि जिसकी ओर एड़ी बठायी बाय बनाम जुमाई-झी० भंगुइत- मुमा दोमा। बदनामी छांछन । - इतं मर-पु० भेंगूठा भंगुश्सरी-खौ फा लेंगी । शंगुश्ताना-पु. फा कोइ या पौतछन्यी टोपी जो सिसाईमें उ ग्ौके बसावके किए उसपर पदन की थाती है हौर दादीके बफ़ उगहीपर पहमनेके छिए संग या दतीकी बनी पुई लॉंगूठी । अंगुप्-पु सिं० भेंगूठा। शैंगूदेदी शाह या आव्यरका 1 खगुष्टिका-स्वी० सर एक झुप | शंगुप्टय-पु॒ से भगूरेका नालून । भंगुसा। -पु भेंसुमा । शेंगुसामा। -जर कि अंकुरित दोना । इँगुसी -स्री० इरुका फारु सुनारोंकी बद नर जिससे जिरागड़ी कूँबजर टॉक जोध्ते ई । शैंगूसा-पु दब या परकी पदचौ भीर सपसे मोरी उे गढी। मु चूमना-युशामद करना सम्मान या बहुत विनय मफद बतना ।-चूसना- बडा दोयर नकद तर लासमझी का काम करना ।-दिस्वाना - सबपापूर्वर सिससीकों तुर्छ सुमशनेकषा भाव दिग्याते हुए नादीं था इनकार करना । सौ एंगछौर्मे पहननेऋा एक मना मुंदरी । थंगूर-पु फा एप प्रति फल मो पसलेपर गणुत मौठा देषा हैं ड्ाद्ा दाय दि मरने हुए थागडे करू दाने। संगुजा भंुर । -की टक्ी-गद टट्ी शिसपर भंगूरकी से चदात है। -की ऐठ-बई रूगा पिसमें अंगूर फरत है द्वारा ता । सुर -सढृकमा न फरला-मरत पावपरकी पिटीका पट पाना । -रपैधमा पा मरभा-पाषर राह दाने उठ माना बागदा मरने रूगना । भेपूरी-पि फाशु भंग्रस्त बना अंगूरके रंगद्य । युभ्दलका दरारंग तो भंगूरके रगमे मिलता दे ।-येठ- रहो. बपगपर पादी या दादी यानिवाम्ी अंगूरको गेलजी रारटद्ी पूल ।-हाराबनर्री शेंगूरसे बनायी हुई राव । शेगूपनषु से सरल बाप । शंगेजना-स हि. सदसाप अंगीवयतर करसा । चगरा-बु्मे सौदा 1 शोर नर दे. जगोरी 1 भमवू-इ भरणी वा गनिपारीया पका शपागा४ना दि भा सा भेगोच सैगोंयिन-पु व ए प्रिया । भेंगादना-ए पि सर यमएस बम एन दा रंगर ना । कल्कि नमाय् नमाप्रक-षि शंगुर्िका-र्भसन डंगोए पुर देद पॉएनेका कपड़ा गमछा लंगनिन | शगोछी खौ० छोटा गमछा छोटी बोनी । बंगोजना४-सभ कि दे मैंगजना झंगोरां -पु० मच्छर फनगा । हंगोरी-स्ौ० आग चिनगारो । बंगगि-पु भनाग था अन्य दि. घी बस्तुका बह माग जो उपयोगर्म लानेके पदडे बर्माथ निकारू दि चाय पुरे दितको देने या देवताको लड़ानेडे छिग राशिसे निकाछा गया भन्न भंग. । झँंगीरिया-पु. मरदूरीफे बदहे इतर रेडर ऐेठी करने बासा इकूषाइा । शंस्प-बि स॑ लगोंसे संग भ एपनेबाता । शैंप्रेज-पु. दे केंगरेग । संघस-पु सं पाप । कपड़ा -पु० पैरमें पदनतेका पसेगा एतता । सैघराईा -सौ पुर्मोपर शगनंगारा बुक कर प्रा । बपिपा-खौ० झीते कपडेसे सदी छतनी । बंप्रि-पु सं बाग परण पेपकी जह ६दका प्रण -नामन -नामक-पु कप सूर पैर ।-पषु इध नइसे पान करनेबाठा -पर्णिका-पर्णी - बिका नवह्ी-स्पी सिंइपुष्छी नामक पांपा। -पश-बि० बच्योंडी तरद भंगूठा पूसनेबारा । पु. भेंगूटा दूसना । नस्कंपनपु पुटना पुट्टी टलना । भंचति-पु सं इना। सपा जामेषारा । बंचती-स्री पं दे मंनति । इॉच्रां पु दे भॉचत । भंसरूनपु सं बसका ऐए साड़ी भोपगी भारिका बदद छोर थे। छाठौ भार पंटपर रइता दे भॉसित छोर देघका पंत भाग कोना तट दिनारा 1 अंचला-पु दे गॉचक 1 इचबन-पुर दे मजचवम । लंचयना-स फिश्दे मपबना । बंचदामा-स० यि हल मिसयाना । बंचित-बि सं० शुद्ध था मुरा गुम कुदित टेसा| पुँघरारि बाल सुंदर गया शुभा। सिंझीहा परम गूंपा हुआ सिखा मा स्पवरियत पृजित । पप्रपु एक प्रकारका फमल जिस्म्दी पतियों टेटी था मुरी दीप इं । ल्ुनवि री देरी ऋमास सौ मावाटी । स्यौल हैरी मांबापी री । सएर-पु पक मुररीग। है शेणसय सत्र रीना । नमारना-जाए दना करना । ससप्नपुर्केम पमत | बजिननपु सिंध याजउठा रिद्वारिस्य शुरमाध स्याए। मापा निरंदन रपरि। पथिस दिगोर पथिम दिस सा इस्तों एक नागा एक सिपिशानस्थ गठे परत सौरणिगए एस कूछा प्यसमा बलि झा पिपइली पर लइदा बला सॉजनात लामा मिशन प्य् बरला । -फान थु दौइद। दि फिसद्ध बल बाल बे इ। दान के इट्शिरिली समर र्परप्य फिर सन्त बल डूब को इज ह। -तिरिनिुर मौरिपद ग मु




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