गर्मी और तापमान | GARMI AUR TAAPMAN

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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170 पद यह तो बहुत गर्म है... जग, इसे हाथ में कैसे पकड़ा है? कुल्हड़ है ना! गर्मी और तापमान तुमने देखा कि सिक्का और स्पोक एक-दूसरे को न छुएं, तो बल्ब नहीं जलता। स्पोक को अब मोमबत्ती से गर्म करो। स्पोक को कुछ देर गर्म करने के बाद क्‍या बल्ब जला? (10) यदि हां, तो बताओ कि गर्म होकर स्पोक सिक्के को कैसे छूने लगा? (11) मोमबत्ती को हटा लेने के थोड़ी देर बाद बल्ब फिर क्‍यों बुझ जाता है? (12) स्पोक को गर्म और ठंडा करने पर उसकी लंबाई में क्‍या अंतर आता होगा? (13) अब बताओ कि बैलगाड़ी के चक्‍के पर पाटा चढ़ाने के लिए पाटे को गर्म क्यों करते हैं? (14) अब तक किए गए तीन प्रयोग में तुमने ठोस, द्रव और गैस पर गर्मी का प्रभाव देखा | इनके आधार पर बताओ कि इन तीनों के आयतन पर गर्मी का क्‍या प्रभाव पड़ता है? (15) गर्मी शब्द का आम भाषा में कई तरह से उपयोग किया जाता है जैसे गुस्से की गर्मा-गर्मी , इत्यादि। विज्ञान में इस शब्द की जगह ऊष्मा कहा जाता है। यह तो हुई ऊष्मा के एक प्रभाव की बात। अब थोड़ा रुककर इस बात पर विचार करें कि क्‍या पदार्थ विद्युत की तरह ऊष्मा के चालक व कुचालक होते हैं? ऊष्मा के चालक और कुचालक खौलती चाय कांच के गिलास या मिट्टी के कुल्हड़ में डाली जाए, तो उन्हें पकड़ने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती। पर वही चाय स्टील के गिलास में डालें, तो हाथ से छूना भी मुश्किल हो जाता है । ऐसा क्‍यों होता है? अपने शब्दों में लिखने की कोशिश करो। (16) जो पदार्थ ऊष्मा को आसानी से ग्रहण करते हैं और जिनमें ऊष्मा आसानी से हर तरफ फैल सकती है उन्हें ऊष्मा का चालक कहा जाता है। स्टील ऊष्मा का चालक है। जो पदार्थ आसानी से ऊष्मा ग्रहण नहीं करते और जिनमें ऊष्मा एक जगह से दूसरी जगह आसानी से जा नहीं पाती उन्हें ऊष्मा के कुचालक कहते हैं। जैसे लकड़ी ऊष्मा की कुचालक है। तवा कितना ही तप क्‍यों न रहा हो , उसका लकड़ी का हैंडल उसकी ऊष्मा को हमारे हाथ तक पहुंचने नहीं देता। ऊष्मा के चालक और कुचालक हमारे हाथ को कई बार भ्रम में डाल देते हैं। जाड़े में देर रात में बाहर पड़ी सभी वस्तुएं लगभग उसी तापमान पर हो जाती हैं जो बाहर की हवा का होता है। पर लोहे का खंभा छूने पर




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