बिजली के प्रभाव तरह तरह के | BIJLEE KE PRABHAV TARAH TARAH KE

BIJLEE KE PRABHAV TARAH TARAH KE by पुस्तक समूह - Pustak Samuhविभिन्न लेखक - Various Authors

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चित्र 5 160 बिजली के प्रभाव तरह-तरह के पन्‍नी को क्या होता है? तुमने पन्‍नी में जो परिवर्तन होते देखा उसका कारण क्या है? (8) अगर परिपथ में सेलों की संख्या बढ़ा दी जाए तो क्‍या होगा? (9) तुमने अपने घर या स्कूल में बिजली के कनेक्शन से लगे फ्यूज तो देखे होंगे। अगर घर को मिलने वाली बिजली एकाएक बढ़ जाती है तो फ्यूज उड़ जाता है और बिजली बंद हो जाती है। क्या इस प्रयोग के परिपथ में इस्तेमाल की गई पन्‍नी को भी एक किस्म का फ्यूज कहा जा सकता है? कारण सहित उत्तर दो। (10) अगर बिजली के कनेक्शन में फ्यूज न लगा हो, तो क्या नुकसान हो सकता है? (11) खंड 3: बिजली के चुंबकीय प्रभाव आओ, अब बिजली के चुंबकीय प्रभावों का अध्ययन करते हैं। विद्युत से चुंबकीय प्रभाव उत्पन्न होते हैं, इस बात का पता सबसे पहले आज से लगभग 180 वर्ष पूर्व यानी सन्‌ 1819 में डेनमार्क देश के एक वैज्ञानिक ऑर्स्टेड ने लगाया था। उन्होंने जिस प्रयोग से यह बात पता लगाई थी चलो वही प्रयोग करते हैं। पर जरा ठहरो | प्रयोग शुरू करने से पहले एक बात समझनी होगी | जब हम तारों को एक सेल से जोड़कर परिपथ बनाते हैं, तो उस परिपथ में विद्युत धारा की एक दिशा भी होती है। परिपथ में विद्युत धारा की दिशा तुमने तांबे की कलई वाले प्रयोग में देखा था कि तांबे के तार को सेल के धन छोर से और कार्बन की छड़ को सेल के ऋण छोर से जोड़ने पर तांबा कार्बन की छड़ पर जमना शुरू हो जाता था। परिपथ पलटने पर, अर्थात तांबे के तार को ऋण व कार्बन की छड़ को धन से जोड़ने पर तांबा वापस तांबे के तार पर जमने लगता था। हम कह सकते हैं कि ऐसे परिपथ में तांबा हमेशा धन छोर से ऋण छोर की ओर बहता है। तांबे के बहने की दिशा को ही वैज्ञानिकों ने विद्युत धारा की दिशा माना है। इसलिए यह माना जाता है कि हर परिपथ में विद्युत धारा सेल के धन छोर से ऋण छोर की ओर बहती है। चित्र 5 में विद्युत धारा की दिशा तीरों द्वारा दिखाई गई है। नीचे दिए परिपथ चित्रों को अपनी कॉपी में उतारकर उनमें तीरों से विद्युत धारा की दिशा बताओ । |




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