सजीव और निर्जीव | SAJEEV AUR NIRJEEV
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
205 KB
कुल पष्ठ :
6
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
विभिन्न लेखक - Various Authors
No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)210 सजीव और निर्जीव
क्या उत्तर देने में कोई कठिनाई आई? कक्षा 6 में “पत्तियों से जान-
पहचान' अध्याय में तुमने पढ़ा था कि अजूबा नाम के पौधे की पत्तियां जब
टूट कर जमीन पर गिरती हैं तब उनसे नए पौधे बन जाते हैं। तुमने
यह भी देखा होगा कि कुछ पौधों की लगभग सूखी डंडियां भी
कभी-कभी पनप जाती हैं और उनसे नए पौधे बन जाते हैं।
बेशरम नाम के पौधे के साथ प्रायः ऐसा होता है। कई बार यह
कहना कठिन होता है कि कोई सजीव कब मृत हो गया और कब
मृत से निर्जीव | पेड़ से तोड़ी गई हर पत्ती में श्वसन, प्रकाश संश्लेषण
आदि क्रियाएं कुछ समय तक चलती रहती हैं । फिर ये क्रियाएं धीमी होती
जाती हैं और अंत में इनके पूरी तरह रुक जाने पर पत्ती मृत हो जाती है |
कुछ लोग अपनी आंखें दान कर देते हैं। ऐसे किसी व्यक्ति के मरने के
तुरंत बाद डॉक्टर उसकी आंखें निकाल लेते हैं और उनकी बाहरी पारदर्शी
परत कॉर्निया को किसी ऐसे व्यक्ति की आंख में लगा देते हैं जिसे दिखाई
नहीं देता हो | इससे उस व्यक्ति को खोई हुईं दृष्टि वापस मिल जाती है |
यह इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि मरने के कुछ समय बाद तक
कॉर्निया की कोशिकाएं जीवित रहती हैं। इसी प्रकार किसी व्यक्ति के
मरने के तुरंत बाद उसके गुर्दे यानी वृकक भी निकाल कर ऐसे व्यक्ति को
लगाए जा सकते हैं जिसके दोनों गुर्दे खराब हो चुके हों |
निर्जीव से सजीव
यह तो तुम जानते ही हो कि खाद से पौधों को पोषण मिलता है। इसी
प्रकार पोषण के बिना किसी जंतु के शरीर में न तो वृद्धि हो सकती है और
न उसमें चलने-फिरने या अन्य कोई काम करने के लिए ऊर्जा आ सकती
है। 'शरीर के आंतरिक अंग-2' अध्याय में तुम देख चुके हो कि पचे हुए
भोजन के ऑक्सीकरण से शरीर को ऊर्जा मिलती है।
उस अध्याय में तुमने देखा था कि जब भोजन का पाचन होता है तब वह
ऐसे पदार्थों में बदल जाता है जिनका उपयोग शरीर द्वारा किया जा सके |
इन पदार्थों की मदद से शरीर में नई कोशिकाएं बनती हैं| प्रतिदिन शरीर
में लाखों कोशिकाएं टूटती-फूटती रहती हैं। इस टूट-फूट को पूरा करने
के लिए नई कोशिकाएं बनती हैं | जब शरीर में कोई घाव हो जाता है तब
उस घाव को भरने के लिए भी नई कोशिकाओं की जरूरत पड़ती है। नई
कोशिकाओं के बनने से शरीर में वृद्धि भी होती है।
इस प्रकार खाद और भोजन जैसे निर्जीव पदार्थों की मदद से सजीवों के
शरीर बनते हैं।
यदि किसी पौधे या जंतु को लम्बे समय तक पानी नहीं मिले तो क्या-क्या
होगा? सभी सजीवों की प्रत्येक कोशिका में पानी का होना जरूरी है। यदि
User Reviews
No Reviews | Add Yours...