तराजू का सिध्दान्त | TARAZOO KA SIDDHANT
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
295 KB
कुल पष्ठ :
13
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इन छेदों में पलड़ों को उनके हुक से लटकाया जाता है| इन छेदों के अंदर
की किनार पैनी है।
डंडी के दोनों सिरों के छेदों में पलड़े दो खास बिंदुओं पर लढके हैं।
डंडी के बीच में लगी कील की पैनी धार से इन बिंदुओं की दूरी नापो। (23)
तुमने क्या पाया? (24)
ऊपर तुमने दो पलड़ों वाले तराजू के आवश्यक गुण देखे।
तराजू के बाट
तुमने तराजू से दुकानदारों को सामान तोलते हुए जरूर देखा होगा।
उनके पास अलग-अलग वजन के बाट रहते हैं | तुम्हारे किट में 200 ग्राम,
100 ग्राम, 50 ग्राम, 20 ग्राम, 10 ग्राम, 5 ग्राम, 2 ग्राम और 1 ग्राम का
एक-एक बाट दिया गया है। इनकी मदद से तुम अपने तराजू पर 1 से
लेकर 200 ग्राम तक के भार तोल सकते हो। तुम्हारे किट में तो केवल
एक तराजू और बाटों का एक सेट दिया गया है। इसलिए प्रयोग करने के
लिए अपने बाट व तराजू तुम्हें खुद ही बनाने पड़ेंगे ।
शिक्षक के लिए सुझाव
किट में तराजु व बाटों का एक ही सेट है। इसलिए ग्रत्येक टोली को अपना-अपना तराजू और
बाटों का सेट बनाने के निर्देश दें। इसके लिए सुझाव है कि टोलियों को बारी-बारी से खाली समय
में किट के तराजू और बाटों का उपयोग करने की सुविधा दी जाए।
अपने बाट बनाओ
किट में दिए तराजू व बाटों से तोलकर तुम्हें अपने बाट बनाने होंगे। बाट
बनाने के कुछ तरीके नीचे दिए है। इनमें से जो तरीका तुम्हें अच्छा लगे,
वह अपनाओ |
(1) अलग-अलग तरह के सिक्कों के वजन निश्चित होते हैं |
सिक्कों को अलग-अलग तोलकर उनके वजन मालूम करो |
अब तुम्हें जितने ग्राम का बाट चाहिए हो उसके हिसाब से
सिक्के एक पोलीथीन की थैली में बांध सकते हो। थेली में
उसका भार एक कागज की पर्ची पर लिखकर जरूर डाल
देना। ।
(2) टूटे हुए खपड़े या ईंटों के टुकड़ों को घिसकर या सूखी
लकड़ी के टुकड़ों को छीलकर अपनी जरूरत के अनुसार
बाट बना सकते हो।
तराजू का सिद्धांत. 73
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