आकाश की ओर | AAKASH KI ORE

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुछ अपने आप करने को घर के आसपास एक ऐसा स्थान ढूंढो जहां से सूर्य उगता हुआ दिखाई दे जाए। हो सकता है कि इसके लिए तुम्हें किसी मकान की छत पर चढ़ना पड़े या किसी खुले मैदान में जाना पड़े | अब पेड़ , खंभे या अन्य किसी वस्तु को सीध मानकर दस-पंद्रह दिन लगातार सूर्य के उगने के स्थान को देखो। चुने हुए निशान और सूर्य के उगने के स्थान का खाका रोज अपनी कॉपी में बनाओ। यह अवलोकन यदि सितंबर- अक्टूबर या मार्च-अप्रैल के दिनों में लो, तो ठीक रहेगा। क्या सूर्य के उगने का स्थान बदलता है? यदि हां, तो किस दिशा में जाता दिखाई देता है? (20) जब सूर्य आकाश में दक्षिण की ओर जाता दिखता है, तो उसे दक्षिणायन कहते हैं, और जब वह आकाश में उत्तर की ओर जाता दिखता है, तो उसे उत्तरायण कहते हैं। तुम्हारे अवलोकनों के दौरान सूर्य दक्षिणायन था या उत्तरायण? (21) अपनी सूर्य घड़ी बनाओ : प्रयोग [2 सूर्य घड़ी बनाने के लिए पहले पुष्टे का एक समकोण त्रिभुज 'क' 'ख' 'ग' बनाओ जिसमें कि कोण 'ग' तुम्हारे शहर के अक्षांश के बराबर हो और कोण “क' 90 डिग्री (चित्र 2)। कुछ अक्षांशों की सूची नीचे दी गई है- तालिका 1 क्र जिला अक्षांश 1. बैतूल, छिंदवाड़ा, और खंडवा 227 2. होशंगाबाद, नरसिंहपुर, धार, देवास, उज्जैन, इंदौर, झाबुआ, रतलाम व शाजापुर 23 3. मंदसौर ग्र्थु इस त्रिभुज को लकड़ी के चौकोर तख्ते के बीचोंबीच लंबवत खड़ा कर लो | त्रिभुज को खड़ा रखने के लिए भुजा 'ख ग' के साथ त्रिभुज के दोनों ओर कागज की पट््‌टियां चिपका लो। | अब तख्ते को समतल जमीन पर जहां 3 दिन भर धूप आती हो इस प्रकार रखो कि 126 आकाश की ओर




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