बच्चों का स्वास्थ्य और उनके रोग | Bachchon ka Swasthya Aur Unke Rog
श्रेणी : साहित्य / Literature, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.02 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नवजात दिशुओका सर्वोत्तम भाहार श्णू अपेक्षा वी० वर्गके विटामिनोका अधिक होना । अगर माताके आहारमे ही ये विटामिन शामिल कर लिये जाय तो उसका दूध अधिक अच्छा प्रमाणित होगा । तीसरा कारण यह है कि स्तनपायी वच्चोसे गायके दूव- पर रहनेवाले वच्चोंकी अपेक्षा शूलकी प्रवृत्ति अधिक होती है पर बच्चे इस थूलके प्रमावका तो निराकरण कर सकते है अयुक्त आहारके प्रभाव- का निराकरण उनके लिए कठिन होता है। इसलिए विशेष अवस्थावाले अपुष्ट वच्चोको छोड़कर औरोंके लिए कोई भी पदार्थ माताके दूबकी समता नहीं कर सकता । माताके दूघमे आवश्यक सारे पदाथे--जल प्रोटीन वसा खनिज- लवण णकंरा विटामिन भदि--ही पर्याप्त मात्रामे मौजूद नहीं होते वल्कि कुछ ऐसे पदार्थ मी होते हैं जो आमाशय आदिके रसके साथ मिलकर वच्चेके लिए दूघका पचकर अभिशोषित होना सरल वना देते है। दूवसे व मान रहनेवाले कुछ तत्त्व शरीरके अन्य किसी भागमे यहातक कि प्रकृतिमे भी कही नहीं पाये जाते केवल दूघका स्व करनेवाले स्तनमे ही उचित मानामे पाये जाते हैं । प्राय कहा जाता है कि माताके दुघमे कुछ ऐसे पदार्थ होते है जो वच्चेके गरीरमे एक प्रकारकी रोग-निवारक शक्ति पहुंचा देते है। यह सत्य हैं कि बच्चेकी जीवन-यात्रा बहुतसे रोगोके निवारणकी पर्याप्त घक्तिके साथ आरम होती है और इस णक्तिका मातासे प्राप्त होना भी माना जा सकता है पर यह प्रिया उसी कालमे सपन्न होती है जव बच्चा गर्भमे होता है प्रसवके वाद नही हा माताका दूघ इस प्राकृतिक निरोव- दक्तिको बनाए रखनेमे और प्रकारसे सहायक अवश्य होता है। समाताका आहार अगर माताके आहारमे उपयुवत रूद्य पदार्थोकी कमी हो तो दूवका निर्माण होना ससय न होगा इसलिए माताकों स्वय अपने और बच्चेके निए भी इन पदार्थोफी प्राप्ति जवब्य होती रहनी चाहिए। सावारणतः
User Reviews
No Reviews | Add Yours...