प्रसाद - साहित्य कोश | Prasad Sahitya Kosh

Book Image : प्रसाद - साहित्य कोश  - Prasad Sahitya Kosh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरदेव बाहरी - Hardev Bahari

Add Infomation AboutHardev Bahari

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
मजातदात्रु से कहती हैं । इतना जानकर भी मल्लिका वीर-वधू होने के कारण बन्धुल को नहीँ रोकती । मागंधी अब काशी की प्रतिष्ठित वार-विलासिनी दयामा वन गई हैं । विरुद्क से उसकी भेंट होती हैं और वह उससे प्यार करने लगती है । शेलेन्द्र बन्घुल की हत्या कर देता हैं और पकड़ा जाला हैं । घ्यामा छल से दैलेन्द्र की छुड़ा लेती हैं । वह समुद्रदत्त नामक मगधघ के मेंदिए को शैलेन्द्र के स्थान पर सूछी चढ़वा देती है । यह सब दयय््मा काशी के दण्ड-नायक से मिल कर रातों-रात ० करवा लेती है । मल्लिका को जब अपने पति के वध की सूचना मिलती है तब वह देवी की भाँति थैय्य॑ धारण करती हैं । वह सारिपुत्र मौदगलायन का आतिथ्य करती है । इसके उपरान्त प्रसेनजित मल्लिका के पास क्षमा माँगने आता है क्योंकि बन्धुल का वध उसी ने ईर्ष्याविदय कर वाया था । मल्लिका प्रसेनजित को क्षमा कर देती है । मल्लिका युद्ध में . आहत प्रसेनजित की सेवा-शुश्रूपा करती हू । प्रसेनजित परचात्ताप में मरा जा रहा हूं । बन्घुल का भाव्जा दीघंका- रायण बदला लेना चाहता है लेकिन सल्लिका की द्ञान्त वार्धारा उसकी अग्नि को भी शीतल करती है । प्रसेन- जित दीर्घकारायण को अपना सेनापति बना लेता हैं और अच्छा होकर उसके साथ कोशल चला जाता है । तब परास्त प्रसेनजित का पीछा करता हुआ अजात- प्‌ अजातदात्रु दात्रु वहाँ आ जाता है। उसे भी मल्लिका के समक्ष झुकना पड़ता है । विद्वास- घाती बॉलेच्द्र बीहड़ व में द्यामा का गला घोंट देता हैं और उसके आभूषण उतारकर चला. जाता है । भगवान्‌ वृद्ध उसे उठवा लाते हैं और उसकी सेवा-बुश्नूपा करके उसे प्राणदान देते हूं । अजातदात्रु कोशल पर आक्रमण करने के बाद मल्लिका के प्रभाव से सुघर जाता है । वह युद्ध की भयानकता से -घबड़ा गया हैँ किन्तु छलना उसे उकसाती है । उसी समय देवदत्त और विरुद्धक आकर अजातशत्रु से मिलते हैं और वह फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाता हैं । सूचना मिलती है कि काशी के दूसरे युद्ध में कौशाम्वी और कोदल की सम्मिलित सेना अजात और विरुद्ध ( दोलेन्द्र ) की. सेनाओं से लड़ेगी । न तीसरे अंक में अजातशत्रु बन्दी बनाया जाता है । छलना का पाषाण हृदय दहल जाता हैं ।. वह देवदत्त पर उसकी धूर्तता के लिए बिगड़ती हैं और उसे बन्दी बनाती है । उसी समय छलना में भी परिवर्तन होता है । वह वासवीं से क्षमा माँगती हैं । कोदशल की राज- कमारी बाजिरा बच्दी अजातथणत्रु से प्रेम करने लगती है । वासवी प्रसेनजित के साथ आती हैं और अजातदात्रु को कॉरावास से छुड़वाती हूं । अजात आकर उसकी गोद से चिपठ जाता है । यहीं उसे माता के प्रेम की शीतल छाया भि




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now