सागर सरिता और अकाल | Sagar Sarita Aur Akal
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.48 MB
कुल पष्ठ :
288
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामचन्द्र तिवारी - Ramchandra Tiwari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रेणी का कमी जिससे स्पर्श भी न डुद्ा श्र वह उनसे झ्रारो है जीवन की दौड़ मे उनसे झ्रागे है । वह विवाहित होने जा रहा है । उसकी पत्नी सुन्दरी है श्रीर वह भाग्य- शाली है | गट्टाचाय वैसे अत्यंत श्रच्छे मनुष्य थे । पर श्रनिल को प्रेम में सफल होते देखकर प्रतियोगिता जन्य एक निम्नता द्योतक भावना अपने प्रति उनमें ऋआ गई । वे स्वयं से असंवुष्ट हो गये | ्रनिल के प्रति श्रपनी उच्चता बनाये रखने की इच्छा उनमें बलबती हो गई । बैरागी होने पर भी उन्हे लगा कि विवाहित झ्निल उनसे अधिक पूण मानव हो जायगा । वे जीवन के तल पर उससे नीचे रह जायेंगे | वह अपनी वास्तविक श्वस्था अनिल को उठते-बैठते बधाई देकर छिपाना चाहते थे । वह श्रपने पर लज्जित थे परंतु विवश थे । अनिल ने कहा--दादा चलो बाजार हो आ्रायें । चलो । उत्सुकता से भट्टाचाय ने कहा । पर १ पर क्या १ पर खरीदना क्या ? दुलहिन के लिए मेंठ । तब तो महत्वपूणण है मई हाँ ठुम । हाँ रुपयों की श्रावश्यकता तो है ही । भट्टाचाय॑ ने सोचा कि इस समय रुपये देने में स्वीकार कर वह अनिल को कठिन अवस्था में डाल सकता है | पर इसका फल क्या होगा १ अनिल उससे श्रसन्वुष्ट हो जायेगा | संसार का काम तो रुकता नहीं । श्रनिल का विवाह हो ही जायगा । सुहासिनी बह फ़ोटोवाली सुन्दरी सुद्दा- सिनी उसकी पत्नी बनेगी । श्र सुहासिनी वास्तव में सुन्दरी है | मन के अत्यंत छुपे कोने में उठा । ऐसे कोने में कि मट्दाचायं को विश्वास न हुआ कि बह कोना उन्हीं के मन का है । सुह्दासिनी सुन्दरी है ।झ्निल के साथ सम्बन्ध बनाये रखने पर वह देखने को मिल सकेगी | अनिल को श्द
User Reviews
No Reviews | Add Yours...