सफल साधना | Safal Sadhana

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कृष्णदत्त पालीवाल - Krishan paliwal

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पुरुषोत्तम दास टंडन - Purushottam Das Tandon

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सेठ अचल सिंह - Seth Achal Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९ 3 जुर्माने का सु द्रड दिया गया | चूंकि सारी सजा साथ साथ चली इसलिए वह केवल श्रठारइ महीने की ही रददी। यह झवसर मेरे लिये एक स्वर्ण ावसर था किन्तु मनुष्य का कमें उससे श्यागे चलता है । जेल में मेरे कूल्हे में निरन्तर दद॑ रहने लगा जिसके कारण सुभे चलने फिरने बैठने सोने आदि मे झधिक कष्ट होने लगा । इसके लावा मेरे पूज्य भाई साइब बीमार होगए जिसके कारण मेरा चित्त संदा चिन्ताअस्त रद्दने लगा । ता० ११ जनवरी सन्‌ १६३३ को उसका स्वगवास होगया। इस बीच में जितना समय मुझे मिलता रहा उसमे नेक पुस्तकों और अन्थों का में ्वलोकन करता रहा. इस प्रकार सुमे करीब चालीस पुस्तकों के झवलोकन करने का सुझवसर प्राप्त हु। अपने अनुसव और इन पुस्तकों के झाधार पर समैंन छुछ लेख लिखने शुरू कर दिये । इस पुस्तक में उन्हीं लेखों का हू संभ्रद है । ग्रदस्थो मुख्यतया नवयुचको और विद्यार्थियों को एक झाद्शे जीवन झर्थात्‌ सदाचारयुक्त चरिन्रचान जीवन व्यतीत करना चाहिये । एक यूदस्थ छापने जीवन को किस प्रकार सफल बना सकता है ्रौर कोन कौन सी बातें उस के जानने योग्य हैं इन दिषयो के सम्बन्ध में सेंने जो पुस्तकें पढ़ीं इन्हीं के आाधार पर यह लेख लिखे हैं। में झाशा करता हूँ कि सेरे बन्घु्ों और बहिनों को यह लेखें अवश्य उपयोगी साबित होगे । यदि मेरी झाशा शतांश में भी सफल हुई तो से ्पने को भाग्यशाली समस्दूंगा | -झचलसिंद




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