स्वास्थ्य और योगासन | Swasthya Or Yogasan

Swasthya Or Yogasan by प्रतापनारायण मिश्र - Pratapnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ इसारा शरीर कि नकद दद्धितनन लिट्रिट्रकनन बने सबक ननकेट्रटटटकनन ननकेट्रेटटबन नगज: न्न्टय सटबनन की सांस दी उसे सुन्दर और सुडोल वना देता है। इसी के सहारे शरीर में मिन्न मिन्न प्रकार की गतियाँ हुआ करती हैं । शरोर में मांस की गतियाँ दा प्रकार की हैं । (१) जा हमारी इच्छा के ाघीन हैं । यदि दम पैर हिलाना चाहें तो दिलावे न चाहे ता बन्द करदे । यद हुई इच्छाघीन मास-गति । (९) जा पूरी तरदद स्वाघोन है, जिस पर दमारी इच्छा झअनिच्छा का कोई प्रभाव नद्दी पड़ता । जैसे हृदय की धड़कन । इस गति को दम बन्द भो करना चाहें तो नद्दी दा सकती । यदद॒ हुई स्वाबीन साँसन्गति । » मॉँस पेशियाँ-मांस के सूदम तस्‍्तुओं से बनी द्ोती हैं । इनका एक सिरा इड़ो के एक सिरे पर, दूसरा-- दूसरी दुड्डी फे सिरे पर द्ोता है। मास पेशियो का पोषण रक्त द्वारा दोता है इसीलिये रक्त (खून) की तरद माँस भी लाल रंग का दोता है | खुन की रगें तीन तरदद की होती हैं (१) जिनमें झुद्ध रक्त का प्रवाद हृदय से झग प्रत्यन्न को शोर दोता है--वमनियाँ कहलाती हैं । (९) जिनमे खराव रक्त वददता श्औौर वह दूपित होने से नीला हो जाता है--शिखाएँ कदलाती हैं। (३) जो वहुत सूदक्ष घमनियों से सम्बन्धित होती हैं जिनके द्वारा धमनी से शुद्ध रक्त पहुँचता है केशिकाएँ कहलाती हैं । - १५




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