आर्थिक भूगोल | Arthik Bhugol
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics, भूगोल / Geography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
558
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क् श्रार्थिदमूगोल
जो जातियाँ एक से जलवायु में रही ई उनको रदन-सदन भहुत कु एक्सी
टी दोती दें । इस कारण ऐसी जातियाँ शीघ्र दो श्पने देश
जलवायु श्रौर के समान जलवायु वाले देशों में जाने को तैयार
प्रयास दो जाती हैं । मिन्न जलवायु मनुष्य के प्रयास के लिये बाघ
(18200 है | प्रिरिश जातिके लोग प्रति वर्ष वनाढ़ा तथा सयुक्तराज्य
श्मेरिका में जामर बसते हैं किम्तु बहुत कुछ प्रमत्र करने पर
मा श्रास्ट्रेलया तथा दक्षिय श्फौका में श्धिक मनुष्य जाकर नहीं बसते । मारत
या गरप मैदानों की मोपय ररमी से धबरावर श्ग्रेज उया मारतव'सी हिमालय
तथा दूसरे पद्दाढ़ी स्थानीं पर चने जाते दे । दस थोड़े बाल के प्रवास के दी कास्थ
शिमला, मैंनीताल, दार्जलिंग, मयूरा, उस्क्मड, पचमढी तथा श्रातू मदलपूर्ग
स्थान पन सय हैं ।
मनुष्य को अपने सजाने बनाने में जनयायु का बहुत विचार करना पढ़ता है।
जिन देशों में वर्षा श्रधिक होती दे घदँ के सझानों का छत
जलवायु शोर. दान होदो हैं । पहुत ठंडे देशों में मकान पिना धाँयन के
इमारतें बनाये जाति हैं श्रीर गरम देशों में पिना श्ॉगन का सजाने
रहने योग्य नहीं शोता | उड़े देशों में कमरे एक दूसरे से
सरारर मनाये जाते हैं चिसये रदने वाले ठड़ से बच सकें । गरम देशों में छन दालू,
नहीं होती श्ौर मकान में च्यादा हवा आने के लिये बरामद चनाया जाता है ) ठंडे
देशों में सर्वे श्रधिक चौड़ा यनाईं जाती हैं जिसमे सूरज वी धूप सूप मिलती रहे. ।
इसके विपरीत सरम देशों में पतला गलियाँ हो श्रधिक दिलाई देती हैं 1 हाँ जद
ब्यामदरफ्त अधिक होती हैं वहीं चौढ़ी सड़क ही बनानी पढ़ती है । सत्तेप में कद
सफने हैं कि मनुष्य का टैमिक जीयन जलवायु से पहुत कुछ प्रमावित होता है 1
स्थापारिक मांगों पर भी जलवायु वा कुछ कम प्रयाव नहीं हे । जिन स्थानों
पर चहुत बर्प पढ़ती दे वहाँ रेल और जहाज व्यर्थ दो जाते
जलगयायु और दें । जाड़े में उत्तर के समुद्र जम जाते हैं श्ौर जदयों वा
व्यापारिक मागे. दाना जाना रुक जाता दे । जी रेलवे लाइनें थे से दर जाती
इंच सी मार्ग को अनुविधा हो जाती हे । जिन देशों में
दर्पा बहुत श्रधिक दोनो है वहाँ सी मार्ग को बहुत झ्सुविधा हो जाती हे । जिन
देशों में श्वत्वघिक वर्ष होती दें रेलवे लाइनें बद जाती ईं । सड़कों पर पुलन
होने के कारण उनका उपयोग नहीं शो सकता, साथ ही कच्चे रास्तों पर ध्याना-बाना
हा श्रप्मम्मव हो जाता है | रेगिस्ठानों में इवा रेत की पदाड़ियाँ खड़ी करके रास्ता रोक
देती है ्औौर रेलवे टूनों को घरों रुइना पडता हैं । मावीन काल में जय जददाज
सार से नहीं चलते थे दर तो वा हो उनका झवलम्बन था व --
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