बृहत् अंग्रेजी हिंदी कोश भाग 2 | Brahat Angreji Hindi Kosh Vol.-ii
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
64.86 MB
कुल पष्ठ :
810
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ए८९घश00एुए्- 0८1घए९
“२१-५२:
०८०००५०टप ओोदेनों'टेंजि 2: समुद्रविश्ान, मद्दासागर
विज्ञान ।
0८८०8 -नॉसू 8. वरुण, समुद्रदेवता !
००८घा: नॉ सि लेंग_ 8: कीराणुननेत्रवतु, . कीदाणुओंकी
सखिनजेंसा 1 [के
००थघा12, -प0ठे-लेंदू , -जेटि डू 8. नेत्राकार) जाँख की
तरद गोल 1
०८टाए० उति “ढँसू ०. (ए. - (वन) अक्षिका ;
(कीड़ोंमें, अपष्ठबंशियोंमें); सरल आँखे; नेत्रक ।
००८० भोसि लें ण- प्रदित-विडाल, चीतेसे मिलता-
जुल्ता बिल्ली की जाति का चतुष्पद जन्ठु-विज्ञेष 1.
ए आचु रंग हा | को 1!
00116१008 को बिरिसू 8« स् 00एप्ाप्ठ 008.
0०८१४ को किरि &« न 0एपारए,
0टप00120 ऑक्लों क्रासि ०० अवर-जनतन्त्र; जनसंकुरू
तंत्र, भीड़शादी ।
000८8 जॉ वर्देक्रेर 8. भवर-जनतस्त्रवादी, जनसंकुर-
तन्त्रवादी प्राहतजनसत्तावादी ।
०प०८ावारिए-'रिकू 8, भवर-जनतन्त्रवादीय) जनसंकुर-
तन्त्रवादीय, भीड़शाही |
ए०0ए009िं2. मॉवलेंफो बिजें ०.
भीढ़-भीति 1
0८006 0 मेंद्दोचू 10, विलाप-ध्वर्ति ; रोनेका झाव्द ।
00020 60ए8 भेंक्रिचिंस ०. रैरिक, गेरए रंगके सह
पीले रंगकी मिट्टीवाला ।
00९ भो बिर 0. कपिदयवर्ण, पाण्डुर; अवश्वुपीत वर्ण;
रोरिक; सुवर्णगंरिक, गेरू, (सुवर्णगैरिक एवं ठौदजलीयित
जारेययुक्त) पीली मिट्टी, प्योड़ा; दलका वादामी रंग,
हल्का तथा कुछ भूरा; पीला रंग; 10१7 /
रासरज !
0८०७७, 00006, ००८9१०0४७, 0८५ए- क्रिस;
“कार्ड -क्रेंसू, -क्रि 68. कपिश,; हलके वादामी रंगका;
गंरिक; गेरुई मिट्टी से युक्त अथवा उसकी भाँति ।
-००८ लखु- (0प0:न, 9, 9पान, कुण्वद्तो ।
0०१९४ जा क्रिजें 0. (वहु० 00९0४) (वन) परिवेट्रक;
परिण्डुर्ली “कवच; नालचोल ।
0८८8८ -जेंदू 8. (वन०) नालचोली, कवच-सम्वन्धी ।
0,.0.5, 0४७1४888 ए०णएएपप086ि01 पिलाए106,
00(- न 0ए3-, 00%0-,
0८8- मष्ट- (नलच0प, «पुणे 1
001. 0070९
०८808 ऑक्रिंकॉड_. ए. 6 8. अढतारा, भाव
तारोवाला वाजा; साठ स्व्रॉका क्रम; जैसे सप्तकका
स्वरयाम ।
००घपीण पेश -डेंलू 8. आठ तारोंवाले (वाजे) से
सम्नान्पत्त: सप्तक-स्वरयाम-सम्वन्धी ।
००६8० जॉकू रेंदू ०. न्टक, अधसंकुल, भाठ वस्तुओं का
समूह 1
0८8०9 आॉकू टेंगेनू १८ 0. अप्कोण, अप्भज; अ्कोण
आऊति ; अठ्पदला; अठ्योनिया, जाठ कोर्णों तथा
सस्सद-शीति' ;
१२४४
सुजाओंवाला . क्षेत्र: अठपहल, “पद मकर युजामोगल कत्र, अठ्पहद. निमितित या. वस्तु
२... 8. अप्कोणीय, अध्भुजीय, आठ कोणों तथा
सुजाभोवाला 1
००280ऐ8 -टैेंनेंट ०, भ्टकोणीय, मेषप्टभुज५ जा
पाइवीय; अठकोनिया; 7 एप्एए07 अ््रफलकों दुपण 1
०८०६1८त761 मॉवर्टेदी (हे )'ड्ूंग 8. अष्टानीक, अष्टाः
नीवीय 'अछटानीक विषयक, (रसा९) अट्टफठकीय: अष्ट'
फलक-सस्नन्धी (7 50567); अठसुंदा ।
००६४9८ठपं८८ ऑवरटेटी हि )'ड्राइट् ण (खिनि०) अष्टा-
नीकिज; (रसा ५) अ्टपछका 0. ।
०८६8०60१०0 ऑवर्टेदी दे ) 'डन् ०. अष्टानीक; अष्टफल-
कीय वस्तु; (रसा०) अट्टफलक,. आठ मुखभागों एवं
त्रियुजोंवाली घन आकछुर्ति' ।
०८(8९07०9ा-नेल 9. अष्टानीक विशिष्ट; भ्टफलकीय;
अषप्टफलसे सम्बन्धित, अठमसुंददा 1 ः
०८(घछा€00प8 ऑवटेमेंरंस 8. भाठ भागोंवाला ।
०८2०६ ऑक्टैमिर्टेर ०. गणाप*छन्द, अप्टगण-छन्द;
आठ गणोंवाला छन्द ।
०८20 ऑक्टैनू ०. अठवारा (व्वर); : आव्वें दिन आने
वाला
०८६घप्तेपंडाा ऑॉवटैनू ड्ि्जेचू _ 8
ाखाओंवाला |
0००6 ऑकू देनू ०. (रसा ०) भष्टीन्य; एक ज्वलन तत्व;
आवशदेन (* शधाा08ा) ।
००८व08पा20 ऑव्टैनू ग्यूलेर_ ७«. भषकोण, आठ कोणों-
वाला।
0८128 -रटैन्सू ०. (ज्यौ०) अ्टागक); 7.
0८६४७ जॉकूटिन्टू 0. भष्ट मक मष्टम; (गणि) अष्ट्सांश;
अ्वाक: अजष्टमांधवृत्तीय क्षेत्र: भष्टमांच चाप; उन आठ
सागोंमेंसे एक भाग अष्टमांश उपकरण या. जौजार; (ग०
ज्यों) चक्ताध्टमांश$ (भू०) अटक 1
००0 ऑॉकूरिंकिं ०... अप्टराज्यक; आठ राज्योंका
समुदाय ।
0८18100 ऑक्टेंरूचू! ० न 0एप08007.
0८850 ऑक टेंस्टिक ०. अप्टपद-गीत) अष्टपदी गीत ।
००88]16 _ऑकू टेंस्टाइल ०: अष्टस्तम्ग, आाठ ख्मों
वाला । ः
०८2! ऑक्रेंटीककू 0. याईविलकि पहले आठ
अध्याय 1 ः
००2एां -रिंवलू, ०... भटक; अप्टचरणीय, अष्ट पदीय;
आठपर आधारित; भाठसे सम्बन्धित 1
०८8८0 -वर्ेन्ट 8« (रसा०) अछसंयोजी ।
0०8४6 ऑकू रिवू ०. माठ चरणों या पंक्तियों कां समूह
या पद; आठ बरस्तुऑ का समूह; पर्वका परवतीं सप्ताह,
त्यौद्दारका दिन त्तथा उसके परवती सप्ताइकों लेकर आठ
दिन; (सिंगीत०) स्वर तथा उसके ऊपर या नीचेके आठ
सप्तकक्रमोंके वीचका अन्तर; इस भन्तरके वीचका' स्व॒रा-
लुक स्वर तथा उसके जासपासंका स्वरसंमूद; (रसा०
भौ०, मनो ) सप्तक, अष्टक, किसी दिये . हुए 'स्वरचिह्वके
माविपनके अनुपातका दिगुणित अथवा भ्ध उत्पन्न स्वर
अष्टद्ञाखी; आठ
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