ब्रह्म - प्रकाश | Brahm -prakash
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.86 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११ )
:. (४) जह्मा के' गिदे छः गृह घूमते हैं 'झौर यही उनें के'
मेस्वर हुए । ही
'(४) के गिरदे छधात् पारा के. गिर: ( सप्तऋपी राह
केतु ) मिल कर नामिश्त्रर कौंसिली है श्ौर घूमते हैं या उनकी
पूजा करते हैं । यही नोंगृरह परत्रह्म के रथ के धोड़े हैं। '
नम्बर (१) सूदम रूप हूं और नम्पर (०) शून्य या
गोल घिन्दी साकार रूप है ।
नम्बर ( १) ब्रह्म जन्त्र-अच्चा-गभ-सफेद सूरज है ।
» (२) ब्रह्म जन्त्र-बाल अवस्था-लाल सूरज है ।
» ( ३) विष्णु जन्त्र-तरुण अवस्था-लाल श्वेत सूगज है
» (४) शिव जंत्र-ुद्ध 'अचधा-घुघल्ला सूरज हैं ।
:... ज (०) परत्रह्म बाल न्रह्मचर्य पार ज्रह्मगननचयं रण
भग तन जो कि सदा ब्रह्मचारी रददने बाला जो कि कभी नहीं
सोता है इमेशा जागता रहता है उलका रह नोला श्वेत
सूरज हें । ः
नम्बर ( ० ) से जितनी रेखायें सीधी निकलती हैं. उन
रेखाओं के इतने नाम हैं--. क ं थ
, . लालच की डोर, प्रम॑ का तार, बिजली का तार, दायरं-
लेश का तार, हरजा मौजूद; सच व्यापक, सबंज्ञ, करम लाइन,
हुर एक जांतिंथों या जोतियों के मिलने की. जर्गद्र, , मोक्ष-
लाइन, सूदम रूप या सूदम लाइन कहते ' हैं, हर एक जांतितों
या तारागणों का रास्ता हे जो मनुष्य या तारागण या जीव
या देवता 'चरोरह सीधे अपनी लाइन पर चत्तते हैं. बह जरूर
गोल बिन्दी तक पईुंच जाते ' हैं और जो टेढ़ा झर्थात्ं एक
दूसरे कीं काट करता हैं बदद गोल लाइन पर चला जाता है।
इसीलिये मनुष्य को चाहिए'कि किसी को बुरा. न कहे और
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