हिंदी काव्य | Hindi Kavya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.35 MB
कुल पष्ठ :
138
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१७ )
में कवित्त सवैये । इनमें प्रेम श्रौर स्व गार का अधिक है । प्रेस
की अनुभूति जितने रसपूरण दाव्दों में रसखान ने की है वेसी हिन्दी में
बहुत कम पाई जाती है । इनके भाव वड़े ही उदात्त श्रौर भाष। सरल हैं ।
तन्मयता इनकी कविता का विशेष गुण है ।
४--भूषण
भूषण का जन्म संवत् १६९९ में कानपुर मण्डल के तिंकवांपुर
ग्राम में हुआ था । ये कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे श्रौर इनके पिता का नाम
रत्नाकर था । भूषण चार भाई थे--चिन्तामरिण, भूषण, मतिराम
श्रौर नीलकण्ठ (जटादख्ूर) । ये चारों भाई सुकवि थे। चिन्तामरिण
. श्रौरंगजेब के दरवारी कवि थे । कहते है कि भूषण प्रारम्भ से बड़े
श्रालसी थे, खाना आर सोना यही इनकी दिनचर्या थी । एक दिन
भोजन के समय दाल में नमक कम होने पर इन्होंने श्रपनी भावज से
नमक मांगा तो उसने ताना मारते हुए कहा--'हां बहुत सा नमक
कमा कर लाए हो न जो उठा लाऊं । भूषण यह व्यंग्योक्ति न सह
सके श्रौर तत्काल ही भोजन छोड़ कर उठ कर खड़े हुए श्रौर बोले कि
श्रब जव हम नमक कमा कर लायेंगे तभी यहाँ भोजन करेंगे । ऐसा
कह रुष्ट होकर घर से निकल पड़ें श्रौर वड़े परिश्रम से विद्याध्ययन
करने लगे । थोड़े ही समय में इन्हें कविता करने का अच्छा श्रभ्यास
हो गया श्रौर यह चित्रकुटाधिपति हृदयराम सोलंकी के पु रुद्रराम
के श्राप्मय में रहकर वीररस की कविता करने लगे । इनकी प्रतिभा
श्रौर चमत्कारिक कविताध्रों से प्रसन्न होकर रुद्रराम ने इन्हें कवि
भूषरा की उपाधि दी । तभी से यह इसो नाम से प्रसिद्ध हो गये श्रौर
इनके वास्तविक नाम का पता भी न रहा। कुछ समय पर्चातु
यह भ्रौरंगजेब के दरवार में पहुँचे ग्रौर भाई की सहायता से वहाँ
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