प्रेमपत्र राधास्वामी तीसरी जिल्द | Prempatra Radhaswami Tisari Jild
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20.73 MB
कुल पष्ठ :
520
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)“----ऊजजखऊसजरूलनरूरूरू:
बचत नं० है 'प्रेमपत्र राघास्थामी जिल्द सा
: द्वार या दीर्त या सतसंगी भाई, भाव और प्यार के
' सामुनासिबर शर नाजांयज नहीं है तो उसी घाह-
- तियात के साथ जैसा कि अनइच्छित भोग के वास्ते
: | ऊपर लिखा गया है उसमें बतांव करे। भौर जो |
_ बह मामूली भोग नहीँ है, तो बाद उसके भोगने के |
_ ताकि उसका छसर उलटां पैदा न होने ॥
. छमैसत दरजे के गुज़ारे के नहीं - है, उसके बास्ते इच्छा |
' उठाना ऐसी ख्वाहिश परमार्थी को हिसे करके या मान |
' .बड़ाई के वास्ते उठाना मना है। बलूकि जो इच्छा
की प्रापी के निमित्त जतन करे, तो वह राधास्त्रामी 1,
' दाल की मौज के झासरे और उनकी दया के भरोसे |
पर करना चाहिये । शौर जो इत्तफ़ाक से बह जतन |
परइच्छित उसको कहते हैं कि जो कोई झपना रिश्ते-
साथ कोई पदार्थ या मोग इस शुख्स के वास्ते तडयार
करके सनमुख रक्खे या उसके पास भेजे तो जो वह
थोड़ी देर भजन या ध्यान करना भी. सुनासिंब होगा, |
१४--फज़ल इच्छा से मंतलब यह है कि जिस बात |
या काम या चीज या पदाथ की जरूरत, वास्ते अपने |
जरूरी काम या पदार्थ वगैरह की उठाने, उौर उस |
सिद्ध न.द्दोबे, तो समस्तना चाहिये कि इसी . में कुछ |
मसलइत है, घौर जैसे बने. तैसे ऐसी मौज के साथ |
मुवाफुक़त करनी सुना पे |
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