राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय | Radhaswami Dayal Ki Daya Radhaswami Sahaya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय  - Radhaswami Dayal Ki Daya Radhaswami Sahaya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राधास्वामी ट्रस्ट - Radhaswami Trust

Add Infomation AboutRadhaswami Trust

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
छांटे हुए चचन महात्माश के । ” एप लि चाहे जितना उसके मिल जावे. इस सबब से वह हमेशा दुखी और नाराज़ रहता है ॥ ततमनाधठतणनाा _ (९९) गुरुमुख कभी गालियां बुरा लफ़ूज़ मुह से नहीं निकालता है; मनमुख अक्सर गाली के साथ बोलता है, और बुरा लफ़ूजु निकालते उसे शरम नहीं आती ॥ (२०५ ग़रुमख॒ सतगुरु की याद और दर्शन में मगन रहता है; मनमख दशनां में रुखा सुखा आर फीका रहता है ॥ (२९ गरुमख की बोली मीठी है क्योंकि वह हमेशा अभमृतरूपी बचन सतगरु की महिमा और उनके गुणानुवाद में पगी रहती है; मनमुख की बोली कड़नी है क्योंकि वह हमेशा संसार की बराइ और भलाइ में सनी रहती है ॥ चयन द०५ जीव के अपनी कंसरों की चार तरह से खबर पड़ सक्ती है। एक ता गुरू के सतसंग से कि वे दया कर के इसकी कसरों के जतानवेंगे, दूसरे हितक्वारी सत- संगी के पास बैठने से, कि वह प्रीत की रीत से ढस की कसरोा के दिखाता और समभ्काता रहेगा, तीसरे निंदक और बिराधी के बचन सुनने से, क्यांकि उसकी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now