सेवा धर्म | Seva Dharm

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Seva Dharm by किशोरलाल घनश्यामलाल मारारुषाला - Kishorlal Ghanshyamlal Mararushala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयानुक्रम १ १ : सेवा क्यों करनी चाहिए १ $ प्रेम की प्रगति $ दे $ जीव, जगत्‌ व ईश्वर : ष्ट ; सेवा के क्षेत्र व प्रकार „ ५: रषष्टूत्राद व जात्तिवादः & & 3 नकली सेवा $ > ¦ सेवा-मागं के खाई-खड ३ ८ ‹ सेवक की साधन-संपत्ति ; £ : सेवक का निर्वाह १५ ¦ विविधे मुद \ १ १ : सेवक चाहिए. क कौ अत (, @ #% £ # की १६--*२७ रद ३९ २ े--'४७ ४ट८--५तः ५६-७४. ८६--१०६ ११०७-१३ १३४--१६२ २६ २-- १८७ ९१८८२२२




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