पोथी प्रश्नोतर संतमत अथवा राधास्वामी पंथ | Pothi Prshnotar Santmat Athva Radhaswami Panth
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.98 MB
कुल पष्ठ :
50
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रश्न झऔर उत्तर हा श्
१--गदा' श्रक्र-चार दल का कँवल-गनेश का |.
खासा । जो कि अगले ज़माने में जोग अभ्यास इसी
जगह से ,शुरू कराया जाता था इस सबब से 'जोगियों |
की देखा देखी गृहस्थी छोग .हर एक काम के शुरू
1 में गनेशजी की .पंजा: करते हैं ॥
२-इन्द्री कंवल-छ;:' दल का-ब्रह्मा यानी ' पैदा
करने वाली शक्ती क़ा बासा ॥ ं
३-”नामी. कैँवल-वआाठ दल का-बिस्न यानी पालन
करने .वाली शक्ती का बासा ॥
। इन तीन स्थानों याची गदा, इन्द्री आर नाभी
| कँवल को मसलमान नासत कहते हैं ॥
श--हिरदे कंबल-बारह दल फो-शिव शच्छो का
यासा ॥ ः
भ-कंठ चक्र-सोलह दल का-दुरगा. यानी इच्छा
शक्ति और आत्मा का धघासा ॥
' ६-->तीसरा तिल या नेत्र जिसको शिव नेत्र, श्याम
_1'सेत वगैरह नाम भी कहते है दो दल :क्रा 'सुरत
यानी परम छझात्मा का बासा-शुरू में इस जगह
सुरत को .समेदना चाहिये-इस स्थान के साथ - ऊंतः |
करण की डोर. ठगी हे है और अंतःकरण के साथ
दसों इन्द्रियोँ वगैरह की-इन तीनों स्थानों “यानी |-
हिरदे केवल, कंठचक्र और तीसंरे तिल को सुसलमान
.,मलकत कहते हूँ-यहाँ - पर. सिफूली स्थानों की
दृद्धह ॥ कि
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