दादू दयाल की बानी भाग 2 | Dadu Dayal Ki Bani Bhag 2

Dadu Dayal Ki Bani Bhag 2  by दादू दयाल - Dadu Dayal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राग गोरी ः दर हूँ तारे. काजे. ताला. बेली । हुवे केम मने जाशे मेली ॥ १ ॥! साहसी तूँ न. मन सौं गाढ़ो। चरण समानों केवी पेरे काढ़ो ॥ २ ॥ राख़िश हुदे तूँ. मारो स्वामी । में दुहिले पाम्यों अंतरजामी ॥ हे ॥ पे न मेले तू स्वामी मारो । दादू सन्युख का सेवक तारो 0 ४ ॥ राम सुनहु न बिपति हमारी हो। तेरी मूरति की बलिह्ारी दो ॥ टेक ॥ मेंजु चरण चित चाहना । ठुम सेवग साधारना ॥ १ ॥ तेरे दिन प्रति चरण दिखावना । करि दया झंतरि झावना 0 २॥ जन दादू बिपत्ति सुनावना । तुम गोधिंद तपति बुकावना ॥३॥। श्र प्रश्न-कौण भाँति भल माने छुसाई' ! तुम मभावे सो मैं जानत नाहीं ॥ टेक ॥ भल माने. नावें गायें । के भल माने लोक रिकायें ॥ १ ॥ भल माने तीरथ न्हायें । के भल माने मूंड मुायें ॥ २॥ भल माने सब घर त्यागी । के भल माने भये बेरागी ॥ ३ ॥- भल माने जटा. बघायें! । कै न के मल माने भसम लगायें ॥ ४ ॥ भल माने बन बन डोलें । (१) बढ़ाने से । है पा खछ 2 12




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