दादू दयाल की बानी भाग 2 | Dadu Dayal Ki Bani Bhag 2
श्रेणी : काव्य / Poetry, दार्शनिक / Philosophical
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.26 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राग गोरी ः दर
हूँ तारे. काजे. ताला. बेली ।
हुवे केम मने जाशे मेली ॥ १ ॥!
साहसी तूँ न. मन सौं गाढ़ो।
चरण समानों केवी पेरे काढ़ो ॥ २ ॥
राख़िश हुदे तूँ. मारो स्वामी ।
में दुहिले पाम्यों अंतरजामी ॥ हे ॥
पे न मेले तू स्वामी मारो ।
दादू सन्युख का सेवक तारो 0 ४ ॥
राम सुनहु न बिपति हमारी हो।
तेरी मूरति की बलिह्ारी दो ॥ टेक ॥
मेंजु चरण चित चाहना । ठुम सेवग साधारना ॥ १ ॥
तेरे दिन प्रति चरण दिखावना । करि दया झंतरि झावना 0 २॥
जन दादू बिपत्ति सुनावना । तुम गोधिंद तपति बुकावना ॥३॥।
श्र
प्रश्न-कौण भाँति भल माने छुसाई' !
तुम मभावे सो मैं जानत नाहीं ॥ टेक ॥
भल माने. नावें गायें ।
के भल माने लोक रिकायें ॥ १ ॥
भल माने तीरथ न्हायें ।
के भल माने मूंड मुायें ॥ २॥
भल माने सब घर त्यागी ।
के भल माने भये बेरागी ॥ ३ ॥-
भल माने जटा. बघायें! । कै न
के मल माने भसम लगायें ॥ ४ ॥
भल माने बन बन डोलें ।
(१) बढ़ाने से । है पा
खछ
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