ध्यान योग प्रकाश | Dhyan yog Prakash
श्रेणी : योग / Yoga
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.83 MB
कुल पष्ठ :
380
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री मद्योगिन लक्षमण आनंद - Shree Madyoginlaxman Aanand
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रु द
खष्टिकर्ता, श्रजन्मा, सत्यस्वरूप श्रौर सन द्धू
शत्यन्त.प्रेस श्रीर भक्तिभाव से विनय पूर्वक गए न या
नियम जो वेद उसका सारभूत तत्व श्र्थ जो परमात्मा उस-
की प्राप्ति कराने घालो श्र ध्यानरूपी सरल विधि से सिद्ध
होने वाली जो योगवियया है उसका मैं चर्णन करता हा । परत-
पच 'ाप मेरे सहायक हजिये । ही
परमात्सा उसकी प्राप्ति कराने चाली श्र ध्यान रूपी
सरल विधि से सिंद होने वाली जो योग विद्या है. उसका
मैं चर्सन करता ड श्तपच शाप मेरे सदायक ट्रजिये 1
॥ न्छोक ॥ ा
'सर्वात्मा सच्चिदानन्दोब्नन्तो यो न्यायकृच्छुचिः ।
भु्रत्तपां सददयो नो दंयालुश सर्वशक्तिपान_! २९ १
ड पूच्चा० चिंण्यु भी
झार्थ--हे सब के झन्तयर्पामी श्ात्मा परमात्मन् | झाप
सत् चित सर श्रानन्द्स्थरूप हैं. तथा छानन्त, स्यायकारी
सिर्मल [सदा, पवि्र]दयालु श्र सर्वसामध्य युक्त हैं, इत्यादि
झनन्त युगाविशेषविशिछट जो 'झाप है सो मेरे सर्वथा सद्दायव
इजित्र जिससे कि में इस पुरुतक फे चनाने के निंमित्त समर्थ
हो जाउँँ । भा
दो रेमू शननों मित्र: शे वरुण: शननों भवत्वय्यंगो ।
.शत्नः इन्द्रो छूदस्पतिः शननो विस्खथुरुरक्रम! ॥, नमो घर
हाणे नमस्ते चायों त्वमेव मत्यक्तें त्रह्मासि । स्वासेत्र 'मत्पेों:
न्रह्म चदिष्यामि । ऋतं . बदिष्यामिं |. संत्य॑ बदिष्यामि !.
'तन्मामवद् | तद्क्तारमवद् अवढ माय अत बक्तारमू ॥ ,
आओ देसू शांति: शांति शांति ॥।
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