सांस्कृतिक मानवशास्त्र | Sanskritik Manva Shastra

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Sanskritik Manva Shastra by मैलविल जे. - Melvile J.रघुराज गुप्त - Raghuraj Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५. #६ अध्याय एकं भानवद्ास्त्र : मानव का विज्ञान मानवशास्त्र (4000108) का विज्ञान दो विस्तृत क्षेत्रौ--शारीरिक और सांस्कृतिक मानवशास्त्र में बंटा हुआ है। शारीरिक मानवशास्त्री ऐसे मामलों, जसे कि नस्ली भिन्नताओं के स्वरूप, शारीरिक गुणों के संक्रमण, वृद्धि, विकास ्रौर मानव शरीर कै विनाश तथा मनुष्य परं प्राकृतिक वातावरण के प्रभावों का अध्ययन करता है । सांस्कृतिक मानवशास्त्री उन विधियों का, जोकि मनुष्य ने प्राकृतिक प्रवस्था्रो भर सामाजिक संसार का सामना करने के किए बनायी हैं तथा किस प्रकार रिवाज सीखे जाते, कायम रहते ग्रौर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होते हैं, म्रध्ययन १ करता है । मानव के दारीरिक स्वरूप श्रौर उसके सांस्कृतिक व्यवहार के श्रलावा मानव- दास्तर में प्रागंतिहासिक पुरातत्त्व (11611810) 20260108) गौर सांस्कृतिक मानवलास्त्र के विशेषीकृत उप-विभाजन तुलनात्मक भाषाशास्त्र भी इसमें शामिल हैं । प्रागतिहासिक पुरातत्त्वशास्त्री पांच लाख वर्ष या उससे भी अधिक श्रवधि में, लेखन- कला के श्राविष्कार से पहले मानव के श्रध्ययन के उन पहलुश्रों का भ्रस्वेषण श्रौर वि्ले- षण करता है जोकि मानव नस्ल के प्रारम्भिक विकास पर प्रकाश डालते हैं, जबकि भाषा- विद्‌ सानवशास्त्री उस अरद्धिदीय सानव-गुण श्रर्थात्‌ बोली के विभिन्न प्रकारों का श्रध्ययन करता है। जब हम इसकी विषय-वस्तु की विविधता पर विचार करते हैं, हम पूछ सकते हैं: मानवशास्त्र की कया एकता है ? इसका उत्तर इस तथ्य में निहित है कि मानव-शास्त्र मनुष्य के भ्रस्तित्व के प्राणिक ्रौर-सांस्कृतिके, श्रतीत श्रौर वर्तमान सब पहलुश्रों को ध्यान में रखकर, इनसे मिली विविध सामग्रियों से मनुष्य की अनुभव की समस्याओं का, उन शास्त्रों से भिन्न जोकि मानव-जीवन के श्रघिक सीमित पहलुओं से सम्बन्धित हैं, एकी- कृत रूप से भ्रध्ययन करता है । मानवशास्त्र इस सिद्धान्त पर जोर देता है कि जीवन श्रेणियों में नहीं गुजारा जाता, बल्कि यह एक निरन्तर बहने वाली धारा है। व्यवहार सें राज कोई भी मानवशास्त्री अपने विषय के समस्त विभागों का प्रध्ययन नहीं करता, पर वह उनके अ्न्तःसंबंधों से परिचित होता है । उदाहरण के लिए, शारीरिक सानव- शास्त्री विवाह में साथियों के चुनाव पर सामाजिक परम्परात्रों के प्रभाव को किसी अनसमूह के शारीरिक प्ररूप के निर्णय में एक कारक के रूप में स्वीकार करता है । भाषा- मानवशास्त्री वोलियो के रूपों के सामाजिक महत्व के प्रति सजग है । प्रागितिहास- विद्‌ इस बात को समञ्चने में भ्रपनी देन देता है कि मनुष्य को श्रपने सामाजिक जीवन को चलाने के लिए कौन-सी वृनियादी प्रौद्योगिक विधियां प्रयोग में लानी पड़ीं श्रौर वह्‌ कंसे ।




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