जातक भाग - 2 | Jaatak Part - 2

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Jaatak Part - 2 by भदन्त आनंद कोसल्यानन- Bhadant Aanand koslyanan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय पष्ठ १३५. चन्दाभ जातक कक ८७ मरते हुए श्राचाय्यें ने चन्दाभं सुरियाभं कहा । ज्येष्ठ शिष्य ही समभक सका । | १३६. सुवण्णहंस जातक . च्य्य लोभवश ब्राह्मणी ने सुवण-हूंस के सभी पर एक साथ उखाड़ लिए । वह सोने के न होकर साधारण पंख रह गए । | १३७. बब्ब जातक ्ि &१ | चहिया बित्लों को मांस दे देकर श्रपनी जान बचाती थी । बोधिसत्त्व के उपदेश से वह सब को मारने में समथ हुई । | द १३८. गोध जातक ४ ९६ तपस्वी गोह का मांस खाना चाहता था । गोह ने ताड़ लिया--अ्रन्दर से मेला है बाहर ही साफ है । १३९. उभतोभट्ट जातक... €्घ घर में भार्य्या ने पड़ोसिन से भगड़ा कर लिया । बाहर मछली पकड़ने जाकर मछवें की अझ्रँख फूट गई और कपड़े चोरी चले गए इस प्रकार वह उभयश्रष्ट हुआ्रा । | १४०. काक जातक कि .. २०१ | कौवे ने ब्राह्मण के सिर पर बीट कर दी । ब्राह्मण ने कौवों की जाति को ही नष्ट करने का संकल्प किया । बोधिसत्त्व ने श्रपनी जाति की रक्षा की । | ५ ककणटक वगे १०५४ १४१. गोध जातक २ .. 2 १०५ गोह की गिरगिट के साथ दोस्ती गोह-कुल नष्ट करने का कारण हुई ।




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