पुरानी दुनिया | Purani duniya

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Purani duniya by रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वैविलोन का साम्राज्य श बीच का प्रदेश । इस मेखला के शेष भागों में भी मैदान हैं पर था तो वे उतने अधिक उपजाऊ नहीं हैं झौर था चनमें बीच-बोच में पहाड़ियाँ और तराइयाँ थादि पढ़ती हैं जिनके कारया इस उन्हें मैदान कह ही नहीं सकते । पर ऊपर जिन दो मैदानों का इमने ज़िक्र किया है वे बहुत दड़े और उपजाऊ हैं । उनमें सिंचाई छादि के लिये भदियाँ सी यवेष्ट हैं और वे इस योग्य सी हें कि उनमें बहुत-से लोग एक साथ मिलकर सुख से रद सकें और सब प्रकार की उन्नति कर सकें । पर पृक वाल और है । इस मेखला में रइनेवाक पर भोतरी और बाइरी दोनो हो प्रकार की बदुत-सी विपत्तियाँ सो आ सकतों हैं । सबसे पहली वात तो यह है कि वे छापस में दी बहुत कुछ लड़ कगड़ सकते हैं श्ौर विशेषता दोनो बड़े-बड़े मैदानों के निवासों एक दूसरे के साथ बहुत कुछ ईंप्याँ-हंष सी कर सकते हैं । ब्यापारियों के दो के आाने-जानें का मार्ग मी इसी मेला पर से होकर है. क्योंकि इसके दोनों शोर या तो पहाद हैं था. रेमिस्तान और उनमें से होकर यात्रियों आदि का झाना-ज्ञाना बहुत ही कठिन है। इसलिये इन दोनों ही श्थानों के निवासी कहाँ तक इो सकेगा इस मेखका के अधिकांश आग को अपने शधिकार में रखने धर उससे जाम उठाने का प्रयल्न करेंगे । इस प्रकार अधिकार -शासि के लिये वे झापस में लड-मिं भो सकते हैं । इसके लिया यहाँ के निवासियों पर बाहर से भी वि कं आने की संभावना होतों है । इस मेखन्ना के किनोरों पर संमुद्द बंत और रेगिस्ताल हैं और इनमें से इर्पुक के कारण इनके निवासियों पर शापत्तियाँ झा सकती दें । इस श्रकार की. विपत्तियों चर इस यहाँ संचेंप में घापने कुछ विचार प्रकट कर देना चाहते हैं । के समुद्र की झोर से तो कोई बहुत बड़ी विपत्ति आ्ाने




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