हिंदी व्याकरण | Hindi Vyakaran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्याकरण-संशाधन-समिति की सम्मति । श्रीयुत्त मंत्री, नागरीप्रचारिणी सभा, काशी 1 मद्दाशय, सभा के निश्वय के श्रनुसार व्याकरण-सशोाधन-समिति का कार्य बददस्पतिवार श्राथ्थिन शुक दे सब १६४७ ( ता० १४ अक्टू- चर १६२० ) को. सभा-भवन सें यथासमय श्रारंभ हुधा । हम लोगों ने व्याकरण के सुख्य-सुख्य सभी अंगों पर विचार किया | हमारी सम्मति है कि सभा ने जे! व्याकरण विचार के लिए छपवाकर प्रस्तुत किया है बच्च झाज तक प्रकाशित व्याकरणों से सभी बातो मे उत्तम है। वद्द बड़े विस्तार से लिखा गया है। प्राय: कोई अंश छूटने नद्दीं पाया । इसमें संदेह नददीं कि व्याकरण बड़ी गवे- बणा से लिखा गया है। हम इस व्याकरण को प्रकाशन-येग्य हैं श्रीर भ्रपले सहयेगी पंडित कामताप्रसादजी गुरु को साघुवाद देते हैं । उन्होने ऐसे भ्रच्छे व्याकरण का प्रणयन करके दिंदी साहिय के एक मददत्व-पू्ण अंश की पूर्ति कर दी । जद्दो-जद्दों परिवत्तेन करना आवश्यक है उसके विषय मे हम लोगों ने सिद्धांत स्थिर कर दिये हैं । उनके अनुसार सुधार करके पुस्तक छपवाने का भार निम्न-लिखित मद्दाशर्यों को दिया गया दहै-- ( १ ) पंडित कामताप्रसाद गुरु, श्रसिस्टेंट मास्टर, माउल दवाई स्कूल, जबलपुर |




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