किसान - सुख - साधन | Kisaan Sukh - Sadhan

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Kisaan Sukh - Sadhan by देवनारायण द्विवेदी - Devnarayan Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5| किसान-सुख-साधन १ এপি পি पूवौभास ৮৪৪৭ हय देश भारतवषं है । समूचा देश्ञ १४ प्रान्तों विभक्त है । हर प्रान्तमे एक गवनेर र्ता है, जो राज्यकायं करता है । देशभरमे कुल सातलाखके करीव गांव है । सन्‌ १९३१ की मनुष्यगणनाके अनुसार समूचे भारतकी आबादी लगभग पेंतीस करोड़ है। इनमें अंग्र जी राज्य और देशी रियासतें दोनों शामिल हैं | कहनेके लिए तो देशी रियासते है, पर वे भी अद्ध रेजके हाथकी कठपुतली बनकर कठोर और कत्तव्यहीन हो रही हैं। हमारे देशमें प्रधान व्यापार खेतीका है। खेतीकी ही आम- द्नीपर बड़े बड़े शहर दिके हुए हैं और उसीसे छोटे-बड़े, अमीर-




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