भूर सुन्दरी अध्यात्म बोध | Bhur Sundari Adhyatm Bodh

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Book Image : भूर सुन्दरी अध्यात्म बोध  - Bhur Sundari Adhyatm Bodh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम तरह ५ ~~~ ~~~ দাবী ঈদুল অপর विश्लुद्ध भावना आदि साधन से विनष्ट द्वी जाते हैं सव जारा का विश्य क्षान अच्छे प्रकार से प्रसाशित दी जाता द्‌ इसी प्रसार अन्य! कमो के विषय में भी जानना चाद्ये, ताखयं यह है कि कर्मों की सब्र वर्गशाओं के दूर हुए बिना जीव को भुक्ति की प्राप्ति कदापि नद्ों दो सकती है, इसलिये पौदूगलिक' संयोग दी चास्वव में अज्ञान है तथा विदयुद्ध आत्मा ज्ञानरूप ই) यद. भी स्मरण रखना चाहिये कि आत्मा के तीन भेद £-. वाह्मात्मा, अन्तरात्मा तथा परमात्मा, इनमें से वाह्यात्मा उसको कदते हैं कि जो पुदूगलों का काम करता है, अपने को कर्ता सममता है तथा ईश्वर को भी फत्तो मानता है, इसके अतिरिक्त' दया, दान, पूजा, सेवा, तीर्थयात्रा, संवर, सामयिक, पोषा, प्रतिक्रमण, साधुबन्दन,* साघुदर्शन गमन' दीक्षा मदोत्सव, सृतक्ोत्सव ' गुरकुल निमोण, सभा- संगठन तथा पाठशाला-स्थापन, इत्यादि संस्रार सम्यन्धी सप द्वी कार्य वाह्यात्मा फे द्वी हैं, अन्तरात्मा के अनुभव के दिना ये सब कार्य আাই खर्गश्रद” भले दी हों परन्तु मोक्ष के दाता नहीं दो सकते हैं, क्योंकि इस घात फो निश्चमवया जान लेना वादये छि अन्तरात्मा फे अनुभव फे बिना शुद्ध सम्यक्तय को भ्राप्ति नहीं होती दै--चा्दे दव डोला में स्थित की जाये, चदि संवेगी नाम रवसा जावे भौर वदं तेरह पन्थी कलाया जये, वर्तमान में देखा जाता दै फि अनेक पत्य बन रहे हैँ तथा उन्हे अनुयायी जन यहे अभिमान के साथ अपने पन्थ छ महच प्रषट करे द तथा अपने २ द मद्र फी इुगडगी धज रदे हैं, पहुत से पन्‍्थातुयायी मद्दाप्रभु यद भी भालापते हैं कि सम्यक्त्व का लाभ फरना दो तो हमारे पास आर सम्मक्‍्व छोले হনে ॥ হ पुडतों छा। इ--विराया अ-न्साधु को नमह्छार | भएर तिये अना ६--रतघ को उपाव | ७--रूवग के देने बाड़े < पीव चने दाने । ६--बगाई ।




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