प्रेमपत्र राधास्वामी जिल्द | Prempatra Radhaswami Phili Jild

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Prempatra Radhaswami Phili Jild by राधास्वामी ट्रस्ट - Radhaswami Trust

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about राधास्वामी ट्रस्ट - Radhaswami Trust

Add Infomation AboutRadhaswami Trust

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
हा ्‌ प्रेमपश्नर राधास्वामी जिल्द १ द पहुंचना होगा और यही संतों का मत है। ऐसे उदट्दार के हासिल करने के वास्ते या तो ऐसे सत- गुरु का मिलना जरूर है जो घुर मुक़ाम तक पहुंचे हुए हों या ऐसे साध का जो सतगुरु से मिल कर थुर मुक़ाम के पहुंचने की साधना कर रहे हों । इन दोनों में से जो मिले उस से जुगत दरयाफ़ कर के और उस के बमूजिव अभ्यास कर के घर पहुंचना मुमकिन है' और प्रीति के साथ उन का बाहर से सतसंग करना चाहिये ॥ संतों के घर का मेदू किसी आर मत में नहीं है और न सिवाय सतगुरु के या जिस के वे बताबें दूसरा उस से वाक़िफ़ है और जितने मत दुनियां में है सब का सिद्धांत संतां के देश से बहुत नीचे है यानी ब्रह्म श्र पारब्रह्म पद के आरे कोई नहीं गया यह दोनों अस्थान आर बाकी नीचे के मुका- मात मिसल सहसदल कंबल आर छठा चक्र बगैर: माया के घेर में है और जो कोई अभ्यास कर के इन मुकासों तक पहुंच कर ठहर गये या ठहर जानेंगे बह माया की हट के पार नहीं जानेंगे और इस वास्ते जन्म मरण से भी नहीं छूटेंगे क्योंकि माया के गिछाफ़ बारीक या अस्थूल सुरत पर चढ़े हुए हैं रयायापाककादकपककामकलकलररललललललपप्लटपललललफललललएकॉकलनिटरयकरएरनलनटएपसटफाककलललटलपएलललपलकफॉफलकललबकलयशकयनएकरयनककनकननकनननननााणाणा गला




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now