संस्कृत के चार अध्याय | Sanskriti Ke Char Adhyay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज़ :
30.95 MB
कुल पृष्ठ :
810
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
रामधारी सिंह 'दिनकर' ' (23 सितम्बर 1908- 24 अप्रैल 1974) हिन्दी के एक प्रमुख लेखक, कवि व निबन्धकार थे। वे आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं।
'दिनकर' स्वतन्त्रता पूर्व एक विद्रोही कवि के रूप में स्थापित हुए और स्वतन्त्रता के बाद 'राष्ट्रकवि' के नाम से जाने गये। वे छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि थे। एक ओर उनकी कविताओ में ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रान्ति की पुकार है तो दूसरी ओर कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की अभिव्यक्ति है। इन्हीं दो प्रवृत्तिय का चरम उत्कर्ष हमें उनकी कुरुक्षेत्र और उर्वशी नामक कृतियों में मिलता है।
सितंबर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया ग
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ )
भारत को भी समझने में असमर्थ रहेंगे। भर थदि भारत फो हम नहीं समझ सके तो
हमारे भाव, विचार और फाम, सबके सब अधूरे रह जायेंगे और हम देश की ऐसी फोई
सेवा नहीं कर सकेंगे जो ठोस और प्रभावपुर्ण हो ।
मेरा विचार है कि दिनकर की पुस्तक इन चातों फे समझने में, एक हद तक, सहायक
होगी । इसलिए, में इसकी सराहना करता हूं ओर आधा करता हूं फि इसे पढ़कर अनेक
लोग लाभान्वित होगे ।
नयी दिल्ली
३० सितम्बर १९४५४ ई०
User Reviews
Akash Chaudhary
at 2021-09-22 08:16:19