संक्षिप्त हिंदी व्याकरण | Sankshipt Hindi Vyakaran
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10.54 MB
कुल पष्ठ :
256
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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करना पड़ता है । इसी प्रकार 'ठ के उच्चारण में दोनो सोठ मिलाकर
खोलने पढ़ते हैं । और फिर 'अ' का उच्चारण कर सॉस को नाक से
निकालना पढ़ता है । (कम?) शब्द में दोनों का (उच्चारण करके देखो ।)
८--इनके सिवा अनुस्वार ( * ) और विसरग (2) नाम कें
दो व्यंजन जौर हैं. जिनका उच्चारण क्रमशः माथे मू. भौर भाघि हू के
समान होता है और जा किसी भी स्वर के पीछे साते हैं; जेसे 'संतार”
जौर “दुख में ।
९--जब किसी स्तर का उच्चारण नासिका से होता है तब उसके
ऊपर अनुनासिक-चिह्न (* ) लगाया जाता है, जिसे चंद्रविदु भी
कहते हूँ; जैसे, 'हेसना सौर 'गॉव' में ।
व्यंजनों में ढ, ज; ण कभी शब्दों के भादि में नहीं आते ।
२०--जबं किसी व्यंजन में स्वर नहीं मिलां रहता तब्र उसके नीचे
एक तिरछी रेखा ( _) कर देते हूं जिसे हल कहते हैं. और वह व्यंजन'
हलंत कहलाता है, जैसे पुनर्; उत् ।
११--नीचे लिखे भक्षरो के दो-दो रूप पाए जाते हैं; जैसे, अ अर;
झ, भ; णग५ णु | किसी अक्षर के नाम के “साथ प्कार' जोड़ देने से
वद्दी मक्षर समझा जाता है, जैसे, अकार-भ;् मकारन्न्म |
अभ्यास
१--नीचे लिखे शब्दों में स्वर भौर व्यंजन बताओो--+
आग, नार, ईशा; ऐन, मोषध, कंत, छः, उदय, तत्पर, भैंवर, ऊँट, मॉच |
दूसरा पठ
स्वरों के भेद
१२--भ, इ; उ गौर ऋ ह्लस्व्र स्वर कहलाते हैं, क्योकि इनके
उद्यारण में सबसे कम समय लगता है। था, ई गौर ऊ,; को दी स्वर
कहते हैं, क्योकि इनका उच्चारण करने में हस्व स्वर से दूना समय
लगता है और हस्व स्वरों के मे से बनते हैं; जैसे---
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