काव्य - कानन | Kavya kanan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.43 MB
कुल पष्ठ :
660
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( थे )
लिए नही तड़प रदो है। पृथ्यो के प्रत्येक राष्ट्र में सषट्रीयता'
का उद्य हो रहा है। सब झपने देश को फ़िक्र में दे। जो
कवि इल रंग में रँंगेगा, वडी अमर होगा, बडी युग-
श्रेतिनिधि कहलायेगा । दम झमो 'उस पार जाने को चिन्ता '
में नहीं हैं, इधर कुड दिन रदना चाहते हैं श्ौर इस लिए
पतला राग खुनना चाहते हैं, जो यहाँ हमारे जीवन को
खुखमय बनावे, जिस से हमारे वत्तंाव मनोभावों को उस्ते-
जना मिले ।
हषे को बात है कि कुछ कवि इस माय पर चल रहदे हैं
जिन का पथ-प्रदूशंन श्री मैथिली रारणजो यु्त कर रहे हैं।
शगुप्तछी तथा उनकी तरह कुछ दुसरे कवि चस्ति-काव्य
लिखने में मम हैं। कुड़॒ ऐसे कवि दैं, जो 'सुक्तक' रचना
करते हैं, जैले पुराने कवि भूषण, विदारी आदि ने की है।
अत 'कान्य-कानन' भी ऐसी सुक्तक रचनाओं का संग्रह है,
जिन में से अधिकांश 'साधुरो” “सरस्वती” श्ादि पत्र-पत्रिकाओओं
से प्रकाशित हो चुकी हैं । इस 'काव्य-कानन' के रचयिता
का विशेष परिचय देना हम श्रावश्यक नहीं समभते; क्यों
कि झभो कुछ दी दिन पहले 'माघुरी' 'लरस्त्रती” सुधा”
स्आदि में झापके स्वर्गीय पिताजी की सविन्र जीवनी निकल
चुरी है, जिस में श्रापके सम्बन्ध में भी बहुत कुछ लिखा
था । मैंने इन पत्रिकाओं में झापको जीवनी अच्छी तरह पढ़ी
नहीं; क्यों कि तब तक . कोई विशेष परिचय था नहीं कि
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