हिंदी व्याकरण | Hindi Vyakaran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६ ) प्रयोगों की नामावली के स्थान में कचियों श्रोर लेखक तथा उनके श्ंथों की शुष्क नामावली दी जाय | मैंने यह विषय केवल इसलिये लिखा है कि पाठकों को प्रत्तावना के रूप में झ्रपनी भाषा की महत्ता का योड़ाबहुत अनुमान हो ज्ञाय | हिंदी के व्याकरण का रार्वसमत होना परम श्रावश्यक है । इस विचार से काशी लागरीप्रचारिणी सभा ने इस पुस्तक को दोदराने के लिये एक संशोधन समिति निर्वाचित की यी । उसने गत दशहूरे की छुट्टियों में श्पनी बैठक की श्र झावश्यक ( फ्रिंठ साधारण ) परिवर्तन के साथ इस व्याकरण को सर्वसंमिति से स्वीकृत कर लिया । यह वात लेखक हिंदी माषा श्रौर दिंदी भाषियों के लिये श्रत्यत लाभदायक श्रौर मदत्वपूर्ण है । इस समिति के निम्नलिखित सदस्यों ने बैठक में भाग लेकर पुस्तक के संशोघनादि कार्यों में मूल्य सद्दायता दी है-- ध्राचार्य पं० महाबीरप्रसाद द्विवेदी । साहित्याचार्य प० रामावतार शर्मा एम० एए० । पढ़ित चंद्रधर शर्मा सुल्तेरी बी० ए.० रा० न० पढड़ित लज्जाशंकर का वी० ए० । पढित रामनारायण मिश्र वी० ए० बाबू लगननाथदास ( रक्ाकर ) वी० ए.० | बाबू श्यामसुंदरदास बी० ए० | पढ़ित रामचद्र शुक्ल । इन सब सजनों के प्रति मैं श्वपनी द्ार्दिक कुतशता प्रकट करता हूँ। प० महदावीरप्रसाद द्विवेदी का मै विशेषतया कृतश हूँ क्योंफि श्रापने इस्तलिखित मति का श्रधिकाश भाग पढ़कर श्रनेफ उपयोगी सूचनाएँ देने की कृपा श्रीर परिश्रम किया है । खेद है कि पं० गोविदनारायण ली मिश्र तथा पं० श्रविका- असाद ली वाजपेयी समयाभाव के कारण समिति की बैठक में योग न दे सके लिससे मुझे श्वाप लोगों की विद्वश्ता श्रीर समति का लाम प्राप्त न डुश्ा । ब्याकरणु सशोघन समिति की समति श्न्यत्र दी गई है | शत में मैं विज्ञ पाठकों से नमन निवेदन फरता हूँ फि श्राप लोग कपाफर मुखे इस पुस्तफ के दोषों थी सूचना श्रवश्य दे । यदि ईश्वरेच्छा से पुस्तफ को द्वितीयाइच्ति का सौमाग्य प्राप्त होगा तो उसमें उन दथों को दूर करने




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