ब्रजलोक संस्कृति | Braj Lok Sanskrit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
32.49 MB
कुल पष्ठ :
718
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)1 हर 1]
उसके कार्य-कत्त. की प्रणाली का कुछ ऐसा रूप रहा कि उसकी
धूम भी पर्याप्त हुइ ! इससे और भी, अधिक उसे कार्य करने की
भाँग होने लगी । नये चुनाव में प्रधान-सन्त्रि श्री गोपालमसाद
व्यास को सौंपा गया ! व्यासजी ठोस कार्य के लिए संकत्पकद्ध थे ।
उनका निश्चय था कि इस वर्ष शिक्षण-शिविर होकर ही रहेगा । इस
शिविर की विवरणु-पत्रिका पढले ही तैयार हो. चुकी थी । उसे अब
प्रकाशित कर दिया गया. और विद्यार्थियों के अवेश की तैयार्याँ
होने ज्गी । इस विस्तृत दिवरण-पत्रिका में वैसे भी' कुछ बातें उद्धृत
करमे योग्य हैं । इनसे इस शिविर के कार्य-संचालन पर प्रकाश पढ़ेगा ।
शिविर के उद श्य ।
१--यह शिविर सण्डल की पंचवर्षीय योजना का प्रथम और
प्रधान अन्न है। उसमें स्पष्ट निर्देश है कि ब्रज;़संस्कृति और
साहित्य के संकलन और अध्ययन का कार्य उस समय तक
विधिवत् नहीं हो सकता जब तक कि कार्यकर्ताओं को इस श्रकार
के कार्य की वैज्ञानिक शिक्षा न दी जाय |
र--पव तक शोध का कार्य सार्वजनिक दृष्टिकोण से नहीं हु, न
जनसाधारण ने उसमें कोई भाग ही लिया था । फलत: ग्राम-
संस्कृति झभी तक अंधकार में पड़ी हुई है। उसको समभने
वाले बहुत कम हैं ! मण्डल का यह एक बिल्कुल नया प्रयोग
है। इस शिक्षण शिविर के द्वारा बह संस्कृति और साहित्य के,
ज्ञान और शोध की वैज्ञानिक प्रणाली को साधारण जन सुलभ
बना देना चाहता है। इस शिविर में शिक्षा पाने घाले व्यक्तियों
के लिए प्राम का करा-कण बोलने लगेगा !
दे--ामों के पुनर्निमाण का यह युग है। इस पुनर्निमीण सें भासों के
सांस्कृतिक उत्थान पर ही आम जीवन का सुख निर्भर” करता है!
उसे जबतक भली' प्रकार न समझ लिया जायगा, तब सक उसके
उत्थान में सहयोग कैसे दिया जा सकता है। यह शिविर उसी
सांस्कृतिक उत्थान के लिए उद्योग करेगा ।
इसके अन्तर विविध नियमोपमियमों का तथा शेष
ब्यवस्था का उल्लेख किया गया था! ,
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