लोक साहित्य विज्ञान | Log Sahitya Vigyan

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Log Sahitya Vigyan by डॉ. सत्येन्द्र - Dr. Satyendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ लोकसाहित्य के भेद विश्व लोकवार्ता के भेद--८५ । ६ लोकसाहित्य सकलन ९३-१४६ प्रासगिक--€ ३, क्षेत्रीय कार्य का महत््व--६४, लोकसाहित्य सकलन में कठिनाइयाँ--६४, अनुसधान अथवा सकलन-सग्रह की व्यवस्था के प्रकार-- উন, केन्द्रीय संगठन की उपयोगिता--१००, क्षेत्रीय अभ्यास--१०१, चित्र स्थापन--१०२, पूर्व के सग्रह--१०३, प्रशिक्षण - १०३, टोली या व्यक्ति--१०४, क्षेत्रीय प्रक्रिा---१०५, इटौरा का उदाहरण--१०६, एक ग्राम सर्वेक्षण--१०६, प्रश्नमाला--१० ५, गाँव की ऐतिहासिक तथा सामान्य वार्ता--१११, सर्वेक्षण मे कठिनाइयां तथा समाधान--१ १५, प्रेत पूजा विषयक क्षेत्रीय अभ्यास--११८, दैनदिनी (डायरी)--१२०, अभ्यास पुस्तक--१२०, लोकवार्ता की टदष्टि- १२०, लोक नास्य--१२२, सकलनकर्ता- १२३, योग्यताए-- १२३, ग्रामसाहित्य सकलन पत्र -१२४ विधि पत्निका--१२५, भ्रामसाहित्य के प्रकार--१२५, ग्रामसाहित्य किस प्रकार सक्लित किया जाय-- १२८, गीत कंसे लिपिवद्ध करे -१३१ कछ अन्य आवश्यक वाते-- १४१, लोकसादहित्य सग्रहालय -- १४३, परिशिष्ट-- (१) अन्तररष्टरीय ध्वनि-लिपि-१४६, (२) ध्वन्यकन-यन्त्र (श67९त्०गपन)) --१४७ | ७. कथा साहित्य १५०-१७४ प्रासमिक--१५०, धमंगाया--१५०, धर्मगाया का रूप--१५३, धर्मगाथा का मूल--१५४, लोकवार्ता साहित्य का मूल --१५७, लोककहानी-- १६०, लोकं कथा का उद्‌भव--१६१, कहानियो का वर्गकिरण--१६६, बाल- कहानी-- १६८, लोककहानी के निर्माण-तन्तु--१७० । ८ कथा कूप (एणाः (भ६ 1४४७४) १७५-२१५ प्रासगिक--१७४५, बने महोदया के कथा रूप--१७७, कथा-रूपो की अनु- क्रमणिका-- १९०, कथाचक्र--२१४। & अभिप्राय ने फा इतिहास लिखिका---डा० साविन्नी सरीन, एम० ए०, डी० फिल० ] लोककथा के पक्ष---२१६, लोककथा और मनोविज्ञान--२१६, लोककथा मे परम्परा--२१६., कथात्त्व-२२०, लोककथा के अध्ययन का आरम्भ --२२१, वैज्ञानिक अध्ययन--२२१, कथामानक रूप अथवा प्रकार विषयक --২৭$, अभिप्राय--२२२, अभिप्राय, कथा और कथक्‍्कड--२२३, शैली “तथा अभिश्राय--२२४, अभिप्नाय अध्ययन ब्लुमफील्ड--२२४, थामसन ४२५ भारत मे--२२५, परिशिष्ट व्लूमफ़ील्ड सम्प्रदाय के कार्य का २२६, विभिन्न झुपान्तरो के आधार पर विश्लेषण--२ ३० । ८१-६२ डा २१६-२३१




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