अस्त्र शस्त्र आदिम युग से अणु युग तक | Astra Shastra Adim Yug Se Anu Yug Tak

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Astra Shastra by जयप्रकाश भारती

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अमरोक्रा, यूरोप, मफ़ीका और एशिया में आज तक प्राप्त होते हैं । अपनी परिस्थितियों को वश में करने के लिए मनुष्य को भीषण सघंध करना पड़ा है । भौतिक आवश्यकताए पूरी करने के लिए जिन उपकरणों का प्रयोग उस ने किया, उन में औौ जार तथा हथियार ही प्रमख थे । फेक कर मारने से पत्थर आदि अधिक से अधिक दूर जा सकें, इस के लिए उस मे अपनी बुद्धि से 'गोफनी' युलेल आदि का आविष्कार किया । आगे चले कर धचुष-बाण का भी आनिष्कार हुआ । आदिम काल के जो भी दूधियार पाए गए हैं, वे पत्थर के ही है । पत्थर के हथियारों के कारण ही यह यंग पाषाण-यग कहुलाया मानव इतिहास के प्रारम्भिक काल में पाषाण-यूग बहुत महत्वपूर्ण है । इसो युग में मनुष्य की अनुसंधान करने की प्रवर्ति का आएचमं जनक विकास हुआ । पत्थर, सींग, हुड्डी आदि के हर्थियार बना कर मनुष्य से हजारों वर्ष के अपने भावों जीवन और सभ्यता की नींव डाली । आज से प्राय: २५००० वर्ष पूर्व भी लोग पत्थर के हो हथियार प्रयोग करते थे, पर उन के हुधियार भद्दे, खरदरे तथा अनगढ़ थे । इन में मुख्य थे-परशु, बाण, फलक, भल्ल, खुदाई के हथियार, फेंकने के बड़े-बड़े गोल पत्थर, काटने वाले हथियार, छुरिया, छोलने वाले ओजार, कोरेंस, पत्थर के हथौड़े और चकमक पत्थर । इन की विशेषता यह श्री कि ये अस्त्र-शस्त्र एक विशेष प्रकार के पत्थर क्वाटजाइट' से बनाए जाते थे । रे




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